नई दिल्ली: Under-19 World Cup: किस्मत के खेल बहुत ही निराले हैं. यह किसी को अर्श से फर्श पर कैसे लाती है, यह मामला इसका एक शानदार उदाहरण है. साल 2011 में भारत की घरेलू राष्ट्रीय कूच बिहार ट्रॉफी में तूफान सा आया, जब एक बल्लेबाज ने 415 रन बनाकर हाहाकार मचा दिया. चारों तरफ विजय जोल (Vijay Zol) के नाम की ही चर्चा थी, उन्हीं के नाम का ही शोर था. भारत के दिग्गज क्रिकेटर उनके नाम की चर्चा कर रहे थे. मीडिया ने उन्हें पलकों पर बैठा लिया था, लेकिन किसी ने सपने में भी नहीं सोचा था कि उन्हें वह झेलना पड़ेगा, जो सभी को हैरान कर देगा. और विजय जोल का केस अपने आप में एक ऐसा उदाहरण बन गया, जो आज भी पंडितों को परेशान करता है.
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इस संस्करण में बने थे कप्तान
कूच बिहार के तूफान से शुरू हुआ सफर यहीं ही नहीं रुका. विजय जोल को साल 2014 जूनियर विश्व कप में भारत की कप्तानी करने का मौका मिला. इसका आयोजन यूएई में हुआ था. भारत क्वार्टरफाइनल में हार गया था. इसी संस्करण से कुलदीप यादव, श्रेयस अय्यर और संजू सैसमन राष्ट्रीय टीम तक पहुंचे.
फर्स्ट क्लास करियर का धमाकेदार आगाज
विजय के पिता ने घर के आहते में ही प्रैक्टिस के लिए सीमेंट पिच बनवा दी थी. जोल को पहला ही फर्स्ट क्लास मैच भारत 'ए' के लिए खेलने का मौका मिला. और विजय जोल ने इसमें न्यूजीलैंड ए के खिलाफ शतक जड़ डाला. यही नहीं पहले ही रणजी ट्रॉफी मैच में विजय ने महराष्ट्र के खिलाफ दोहरा शतक जड़ डाला. जोल साल 2012 में अंडर-19 विश्व कप जीतने वाली टीम का सदस्य भी रहे. और अगले संस्करण में कप्तान भी बने. साल 2014 में रॉयल चैलेंजर्स ने भी खरीदा. लेकिन यहां से उनकी किस्मत उन्हें धरातल पर ले गई.
अपहरण और वसूली का केस दर्ज
पिछले साल विजय जोल, उनके भाई विक्रम सहित बीस लोगों के खिलाफ अपहरण, वसूली और उपद्रव का केस दर्ज किया गया. साथ ही, उनके खिलाफ आर्म एक्ट का भी मुकदमा तर्ज किया गया. उनके खिलाफ एक 44 साल के क्रिप्टो करेंसी इन्वेस्टमेंट मैनेजर ने मुकदमा दर्ज कराया.
कुछ ऐसा है हाल
विजय जोल अभी सिर्फ 29 साल के ही हैं, लेकिन हाल यह है कि इस लेफ्टी बल्लेबाज ने अपना आखिरी फर्स्ट क्लास साल 2019 में खेला था. मतलब साफ है कि अब क्रिकेट से उनका मोह भंग हो चुका है, लेकिन उनका केस अपने आप में बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है कि ऐसा क्रिकेटर जिसने चौहरा शतक जड़ा हो, इतनी उम्मीदें जगाई हों. जब उसके साथ के क्रिकेटर सीनियर स्तर पर जलवा बिखेर रहे हैं, तो वह असामयिक रूप से परिदृश्य से बाहर हो गया.
कहानी का सबक यह है कि...
विजय जोल ने अंडर-19 के दिनों में एक बड़ी गलती यह कर दी कि उन्होंने क्रिकेट पर ध्यान देने के लिए पढ़ाई-लिखाई का पूरी तरह से परित्याग कर दिया. यह एक बहुत ही बड़ी गलती थी. अगर वह शिक्षा को साथ लेकर चलते, तो उनके व्यक्तित्व का विकास भी होता. और कौन जानता है कि जिस मामले में वह फंसे, उसमें न फंसते. ऐसे में कहानी का सबक युवा क्रिकेट यह ले सकते हैं कि आप जूनियर स्तर पर कितने भी ज्यादा सफल क्यों न हो जाएं, पढ़ाई-लिखाई भी साथ-साथ अनिवार्य रूप से करनी चाहिए.