ब्रिस्बेन में जब तीसरा टेस्ट ड्रॉ छूटने के बाद भारतीय टीम का माहौल खुशनुमा था, तब ऐसे में ऑफी रविचंद्रन अश्विन (Ravichandran Ashwin) ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास का ऐलान कर सभी को भौंचक्का कर दिया. मैच के खत्म होने के बाद अश्विन ने संन्यास का ऐलान किया, तो कई सवाल पैदा हो गए. यह दिग्गज ऑफ स्पिनर प्रेस कॉन्फ्रेंस में आया जरूर, लेकिन उन्होंने संन्यास को सार्वजनिक करते हुए किसी भी सवाल का जवाब देने से इनकार कर दिया. अब चर्चा ने जोर पकड़ लिया है कि कुछ न कुछ दाल में काला तो जरूर है. बहरहाल, रिपोर्ट के हवाले से जो कारण सामने आ रहे हैं और जो तस्वीर निकल कर आ रही है, उसमें हेड कोच गौतम गंभीर की बड़ी भूमिका दिखाई पड़ रही है. चलिए आप पूरी कहानी इन 6 प्वाइंट के जरिए समझिए.
1. अगर प्लेइंग XI में खेलने की गारंटी नहीं थी, तो अश्विन ऑस्ट्रेलिया जाने के इच्छुक नहीं थे. न्यूजीलैंड के खिलाफ हुए 0-3 से सफाए के बाद ही अश्विन ने सोचना शुरू कर दिया था कि अब उनके सामने क्या है. ऑस्ट्रेलिया दौरे में टीम चयन पर अश्विन ने सेलेक्टरों से इलेवन में खेलने की गारंटी भी मांगी. कुछ गारंटी उन्हें दी भी गईं.
2. अश्विन को पहला झटका तब लगा, जब पर्थ में उनकी अनदेखी कर वॉशिंगटन सुंदर को टीम में चुना गया. निश्चित ही, इस बात ने अश्विन को बहुत ही ज्यादा आहत किया. यहीं से अश्विन ने इसको लेकर और ज्यादा चिंतन करना शुरू कर दिया कि शेष बाकी सीरीज में उन्हें टीम में बने रहना चाहिए या नहीं.
3. अश्विन ने हालात को लेकर कप्तान रोहित से बात की, जहां उन्होंने साफ-साफ कह दिया कि अगर टीम को उनकी जरुरत नहीं है, तो वह संन्यास ले लेंगे. बहरहाल, किसी तरह रोहित ने अश्विन से पिंक टेस्ट तक रुकने को कहा. रोहित ने वादा निभाया और अश्विन दूसरा टेस्ट मैच खेले, लेकिन भारत की दस विकेट से हार में अश्विन सिर्फ एक ही विकेट चटका सके. संभवत: इस परफॉरमेंस ने हेड कोच गंभीर के मन को पूरी तरह बदल दिया.
4. जैसे ही तीसरा टेस्ट नजदीक आया, रवींद्र जडेजा ऑफ स्पिनर की जगह टीम में शामिल कर लिए गए. इससे अश्विन को पूरी तरह से साफ हो गया कि उनके सामने क्या विकल्प है. जडेजा के चयन और इसके बाद उनकी शानदार 77 रन की पारी से अब मुहर लग चुकी थी कि अब यहां से उनकी प्रासंगिकता इलेवन में लगभग खत्म हो चुकी है.
5. हालांकि, सिडनी में ऐसे आसार हैं कि भारत इलेवन में दो स्पिन खिला सकता है, लेकिन अश्विन को लग गया कि इसके बावजूद उन्हें इलेवन में जगह नहीं मिलेगी. और वह वर्तमान में जडेजा और वॉशिंगटन के बाद प्रबंधन की तीसरी पसंद बन चुके हैं.
6. जब रोहित पर्थ टेस्ट में उपलब्ध नहीं थे, तब हेड कोच गौतम गंभीर ने साहसिक फैसला लेते हुए अश्विन की जगह वॉशिंगटन सुंदर को इलेवन में खिलाते हुए साफ कर दिया कि वह अपनी इस नीति के साथ आगे बढ़ेंगे. लेकिन रोहित की वापसी के साथ ही इलेवन की तस्वीर बदल गई, लेकिन जब तीसरे टेस्ट में जडेजा को उनकी जगह इलेवन में शामिल किया गया, तो इस दिग्गज ऑफ स्पिनर ने क्रिकेट को अलविदा कहने का मन बना लिया.