बर्थडे स्पेशल : टीम इंडिया के इस बल्लेबाज ने पहली ही सीरीज में किया था कमाल, फिल ह्यूज की तरह सिर में लगी थी गेंद...

बर्थडे स्पेशल : टीम इंडिया के इस बल्लेबाज ने पहली ही सीरीज में किया था कमाल, फिल ह्यूज की तरह सिर में लगी थी गेंद...

प्रतीकात्मक फोटो

खास बातें

  • रमन लांबा ने पहले ही वनडे में 53 गेंदों में बनाए थे 64 रन
  • बांग्लादेश में एक मैच के दौरान फील्डिंग के समय हुए थे चोटिल
  • तीन दिन तक रहे थे हॉस्पिटल में भर्ती, फिर हो गई थी मौत
नई दिल्ली:

क्रिकेट के मैदान पर खिलाड़ियों का चोटिल होना तो आम बात है, लेकिन कई खिलाड़ी इतने गंभीर रूप से चोटिल हो चुके हैं कि या तो उन्हें क्रिकेट ही छोड़ना पड़ा या फिर चोट की वजह से वह दुनिया को ही अलविदा कह गए. मैदान पर चोटिल होकर जान गंवाने वाले क्रिकेटरों की बात होते ही आप सबके मन में ऑस्ट्रेलिया के फिलिप ह्यूज का नाम सहज ही आ गया होगा, लेकिन क्या आप जानते हैं कि ह्यूज से पहले एक भारतीय क्रिकेटर भी कुछ ऐसी ही घटना का शिकार हो चुका है, जो महज 38 साल की उम्र में हमें छोड़कर चला गया. हम यह चर्चा इसलिए कर रहे हैं क्योंकि आज (2 जनवरी, 1960) ही के दिन उनका जन्म हुआ था. यह भारतीय क्रिकेटर थे दाएं हाथ के बल्लेबाज रमन लांबा. आइए हम आपको लांबा के साथ घटित जानलेवा घटना और उनके क्रिकेट करियर से परिचित कराते हैं...

पहली सीरीज में ही बन गए बेस्ट प्लेयर
रमन लांबा का जन्म उत्तरप्रदेश के मेरठ में हुआ था. उन्होंने टीम इंडिया के लिए पहला वनडे ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 7 सितंबर, 1986 को खेला था. टीम इंडिया के सामने ऑस्ट्रेलिया ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 251 रन का लक्ष्य रखा था. उनकी ओर से ज्योफ मार्श और डेविड बून ने शतक लगाए थे. टीम इंडिया की ओर से सुनील गावस्कर के 26 रन पर आउट होने के बाद के श्रीकांत का साथ देने के लिए डेब्यू कर रहे रमन लांबा उतरे और उन्होंने श्रीकांत का साथ उन्हीं के अंदाज में दिया. गौरतलब है कि श्रीकांत को गेंदबाजों की पिटाई करने के लिए जाना जाता था, लेकिन इस मैच में लांबा उनसे कहीं भी कमतर नहीं नजर आए और ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजों की खूब खबर ली. जहां श्रीकांत ने 104 गेंदों में 102 रन ठोके, वहीं लांबा ने 53 गेंदों में आठ चौके और एक छक्के की मदद से 64 रन ठोक डाले और टीम की जीत तय कर दी.

रमन लांबा का बल्ला टेस्ट मैचों में तो कुछ खास नहीं चला, लेकिन वनडे में उन्होंने कुछ अच्छी पारियां खेलीं. ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पहली ही वनडे सीरीज में उन्होंने मैन ऑफ द सीरीज का पुरस्कार जीत लिया. पहले मैच में 64 रन की पारी के बाद उन्होंने बाकी के पांच वनडे में 68 गेंदों में 74 रन और 120 गेंदों में 102 रन की यादगार पारियां खेलीं थीं. उन्होंने भारत के लिए कुल 32 वनडे मैच खेले और 783 रन बनाए. हालांकि उनका औसत अच्छा नहीं रहा.

रमन लांबा ने घरेलू क्रिकेट में ढेर रन बनाए थे. उन्होंने 121 फर्स्ट क्लास मैचों में कुल 8776 रन बनाए थे. दलीप ट्रॉफी में उनके नाम सर्वोच्च व्यक्तिगत स्कोर का रिकॉर्ड दर्ज है, जो 320 रनों का है.

सिर में लगी गेंद, 3 दिन रहे भर्ती, हुई मौत...
रमन लांबा की मौत ऑस्ट्रेलिया के फिलिप ह्यूज की ही तरह मैदान पर सिर में गेंद लगने से हुई थी. हालांकि दोनों ही घटनाओं में अंतर यह था कि ह्यूज जहां बैटिंग कर रहे थे, वहीं लांबा फील्डिंग के दौरान चोटिल हुए थे. बात फरवरी, 1998 की है. रमन लांबा बांग्लादेश में एक क्लब मैच खेल रहे थे. अबाहानी टीम के कप्तान खालिद मसूद ने रमन लांबा को शॉर्ट लेग पर खड़ा किया हुआ था. दिन का अंतिम ओवर फेंका जा रहा था और उसकी तीन गेंदें बाकी थी. लांबा को हेलमेट लगाने के लिए कहा गया, लेकिन यह कहते हुए मना कर दिया अब तो ओवर में तीन गेंदें ही बची हैं, लेकिन भाग्य उनके साथ नहीं था. गेंदबाज थे सैफुल्लाह. उनकी गेंद पर बल्लेबाज मेहराब हुसैन ने तगड़ा शॉट खेला. लांबा ने बचने की कोशिश की, लेकिन गेंद सिर में जा लगी. चोट इतनी गंभीर थी कि सिर पर गेंद लगने से लांबा तीन दिन तक बेहोश रहे. उनका इलाज चला, लेकिन डॉक्टर बचा नहीं पाए.

फिलिप ह्यूज की ऐसे हुई थी मौत
हुआ यह था कि 25 नवंबर, 2014 को ऑस्ट्रेलिया के एक घरेलू मैच के दौरान 63 रन पर खेल रहे 25 साल के ह्यूज को तेज गेंदबाज सीन एबॉट की बाउंसर सिर के पिछले हिस्से में लगी थी. गेंद लगते ही ह्यूज पिच पर गिर पड़े थे और दो दिन कोमा में रहने के बाद हॉस्पिटल में उनकी मौत हो गई थी. इस घटना से पूरा क्रिकेट जगत स्तब्ध रह गया था और सीन एबॉट गहरे सदमे में थे. ह्यूज की मौत के समय एबॉट भी हॉस्पिटल में थे और अपने आंसू नहीं रोक पा रहे थे. यहां तक कि टीम इंडिया के ऑस्ट्रेलियाई दौरे के शेड्यूल में भी बदलाव करना पड़ा था.


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