खास बातें
- साल 2013 में स्पॉट फिक्सिंग में गिरफ्तार हुए थे श्रीसंत
- सलाखों के पीछे भी समय गुजारना पड़ा था
- आजीवन बैन लगा, तो सात साल में तब्दील हुआ!
नई दिल्ली: पिछले दिनों बॉलीवुड स्टार सुशांत सिंह राजपूत की आत्महत्या के बाद हर सर्किल में मेंटल हेल्थ को लेकर चर्चा थी. रॉबिन उथप्पा और मोहम्मद शमी ने भी यह खुलासा किया था कि कैसे वे आत्महत्या करना चाहते थे, लेकिन वे इससे बाहर निकले में कायमाब रहे. और अब पहले आजीवन और फिर सात साल का प्रतिबंध झेलने वाले तेज गेंदबाज श्रीसंत (#Srisanth) ने अपने बहुत ही मुश्किल दिलों के बारे में दिल की बात कही है. श्रीसंत (#Srisanth) ने कहा कि उन्होंने भी डिप्रेशन और आत्महत्या करने जैसे विचारों का सामना किया. याद दिला दें कि श्रीसंत (#Srisanth) साल 2013 में आईपीएल में स्पॉट फिक्सिंग के आरोप में पकड़े गए थे. उन्हें हवालात के पीछे भी दिन गुजारने पड़े. बाद में बीसीसीआई ने उन पर आजीवन प्रतिबंध बीसीसीआई ने लगाया, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने घटाकर सात साल करा कर दिया था. हाल ही में उनके राज्य केरल ने उन्हें राज्य की रणजी ट्रॉफी टीम में चुना है.
एक अखबार से हालिया बातचीत में श्रीसंत ने मुश्किल समय की बातों को सामने लाते हुए कहा कि एक समय ऐसा भी था, जब मुझे अंधेरे से भी डर लगने लगा था. मैं अपने घर से बाहर नहीं निकल सका और न ही मैंने अपने परिवार के किसी शख्स को घर से बाहर निकलने दिया क्योंकि मुझे डर था कि उनका अपहरण हो जाएगा. मैं उस समय बहुत ही ज्यादा डिप्रेशन में था. श्रीसंत ने कहा कि ये सभी विचार मुझे मेरे कमरे में आते थे, लेकिन बिना मुस्कुराहट के मैं अपना कमरा नहीं छोड़ सका क्योंकि मेरे माता-पिता के लिए यह वहन करना बहुत ही मुश्किल होता. मैं उन्हें अपनी कमजोरी नहीं दिखाना चाहता था. इस दौर में मैं पूरी तरह अपने आप में था. मैं पूरे दिन यह सोच-सोचकर रोता रहता था कि आखिर कहां गलत हुआ और मेरे साथ क्या हुआ. मैं दोहरा जीवन जी रहा था और इससे निपटा मुश्किल था.
इस तेज गेंदबाज ने कहा कि दुनिया के लिए मैं श्रीसंत और परिवार के लिए गोपू था, लेकिन अपने कमरे के भीतर मुझे नहीं पता था कि मैं क्या था. यही वजह रही कि मैंने अपने शौकों के बारे में जाना और पूरी गंभीरता के साथ उन पर काम करना शुरू कर दिया. आत्महत्या के विचार के सवाल पर श्रीसंत ने कहा कि यह एक ऐसी बात है, जिससे मैं साल 2013 में लगातार लड़ता रहा, लेकिन मेरे परिवार ने मेरा ख्याल रखा. मुझे अपने परिवार के लिए मजबूत बने रहना था. मैं जानता था कि मेरे परिवार को मेरी जरूरत है.
श्रीसंत बोले कि यही वजह रही कि सुशांत सिंह राजपूत की आत्महत्या की खबर ने मुझे बहुत प्रभावित किया. सुशांत सिंह मेरा अच्छा दोस्त था. मैं भी आत्महत्या की कगार पर था, लेकिन मैं वापस लौटने में सफल रहा क्योंकि मैंने जान लिया कि इससे वो लोग कितने ज्यादा आहत होंगे, जिन्होंने मेरे भीतर भरोसा दिखाया और मुझे प्यार किया. श्री बोले कि वह इन दिनों छोटी किताब लिख रहे हैं. अगले एक महीने के आस-पास यह बाजार में होगी और मैंने इस बात का जिक्र किताब में किया है. मैंने इसमें लिखा है कि कैसे आप अकेले नहीं है. और अगर आप अकेले हैं, तो यह अनिवार्य रूप से कोई खराब बात नहीं है क्योंकि कई महान चीजें इस अकेलेपन से ही निकलती हैं. ये अकेलेपन का दौर आपको खुद के भीतर झांकने और जाने का मौका दे सकता है, जो बमुश्किल ही मिलता है.
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