श्रेयस संतोष अय्यर. पूरा नाम यही है. लेकिन श्रेयस के अंदर संतोष नाम की कोई चीज नहीं है. खुद कितने भी रन बना लें. टीम को कितनी भी जीत दिला दें. कामयाबी कितनी भी मिल जाए. शिखर छू लें. श्रेयस जानते हैं कि संतोष कर लेने का मतलब है रुक जाना और एक खिलाड़ी के लिए रुक जाने का मतलब सबको पता है. रेस में पीछे होते चले जाना. आखिरकार रेस से बाहर हो जाना. तभी तो वे फ्रंट से लीड करते हैं. एक अचीवमेंट के बाद दूसरा गोल सेट करते हैं. नए टारगेट के लिए जुट जाते हैं.
बाय-बाय केकेआर...
कंफर्ट जोन से निकलने पर ही आपको कामयाबी मिलती है. आप अलग दिखते हैं. आप कुछ नया कर पाते हैं. रोल मॉडल बनते हैं. ये बातें हर किसी को पता हैं. लेकिन ये जोखिम कितने लोग उठा पाते हैं? ऐसा करने की हिम्मत कितने जुटा पाते हैं? शायद लाखों में एक. श्रेयस ने 10 साल के सूखे के बाद केकेआर को अपनी लीडरशिप में जीत दिलाई. अगले दो-तीन सीजन बड़े आराम से उसी टीम के साथ गुजारते. प्रदर्शन में ऊंच-नीच होता भी रहता तो टीम मैनेजमेंट 2024 की ट्रॉफी को याद कर उनमें अपना भरोसा बनाए रखता. लेकिन श्रेयस आए, ट्रॉफी दिलाई और नए रास्ते पर बढ़ गए. कोलकाता से चंडीगढ़ के रास्ते पर. नहीं पता कि 3 जून की ट्रॉफी पर उनके नाम का श्रेय अंकित होना तय है या नहीं. लेकिन पंजाब के किंग्स को श्रेयस ने जिस मुकाम पर पहुंचा दिया, उसके बाद वे आईपीएल के सबसे बड़े किंग जरूर नजर आने लगे.
19वें ओवर की वो कयामत
अहमदाबाद का नरेंद्र मोदी स्टेडियम. किंग्स को 2 ओवर में 23 रन की दरकार थी. खुद कप्तान श्रेयस मैदान पर थे. कोई और कप्तान होता तो एक सेट पैटर्न पर चलता. अंतिम ओवर में 8 से 10 रन ही बाकी रखने की सोच के साथ आगे बढ़ता. जिससे कि कोई जोखिम न रहे. लेकिन यहां भी श्रेयस ने लीक से हटकर रणनीति अपनाई. अश्विनी जैसे जूनियर खिलाड़ी को दबाव में लिया. दबाव में लेकर बिखेर दिया. छक्कों की बरसात कर दी. मुंबई इंडियंस के छक्के छुड़ा दिए. 20वें ओवर की जरूरत ही नहीं रहने दी.
व्हाइट बॉल के रेडी कैप्टन !
व्हाइट बॉल क्रिकेट के कैप्टन सूर्यकुमार यादव ने जितने भी मौके मिले हैं उनमें अब तक अपनी लीडरशिप वाली भूमिका बखूबी निभाई है. निश्चित तौर पर वे बल्ले से भी बेजोड़ हैं. लेकिन श्रेयस का खेल देखकर और खासतौर से उनके नेतृत्व कौशल को देख नवजोत सिंह सिद्दू उनकी गिनती देश के महान कप्तानों से कर बैठते हैं, तो यकीनन अय्यर में कुछ तो बात होगी? तभी तो सिद्धू कहते हैं,"महेंद्र सिंह धोनी, रोहित शर्मा के बाद श्रेयस उनके फेवरेट हैं. श्रेयस आने वाले समय में टीम इंडिया के व्हाइट बॉल कैप्टन दिख रहे हैं. क्रिकेटिंग जमात में ये सोच पनप रही है, तो यकीनन इसका श्रेय खुद श्रेयस अय्यर को जाता है. इसका श्रेय उनके प्रदर्शन को जाता है."
तब श्रेय ही तो नहीं मिला था !
पिछले सीजन (2024) श्रेयस अय्यर और गौतम गंभीर की जोड़ी ने केकेआर की कमान संभाली. लेकिन सारी चर्चा गौतम गंभीर के आसपास चलती रही. केकेआर को गंभीर की टीम की तरह पेश किया गया. लीग मैचों की जीत से लेकर ट्रॉफी जीतने तक. बातें सिर्फ गौतम गंभीर की हुई. यहां तक कि केकेआर ने 10 साल बाद ट्रॉफी दिलाने वाले कप्तान को रिटेन भी नहीं किया. तभी तो गावस्कर ने कहा,"पिछले सीजन में आईपीएल की जीत का श्रेय उन्हें नहीं मिला. सारी प्रशंसा कहीं और चली गई. जबकि मैदान में कप्तान ही सबकुछ कर रहा होता है, न कि डगआउट में बैठा कोई."
बस साल ही बदला है. केकेआर आठवें नंबर पर फिनिश हो चुकी है. श्रेयस टॉप-2 में पहुंचकर नंबर-1 होने के सबसे बड़े दावेदार नजर आ रहे हैं. तीन अलग-अलग टीमों को आईपीएल फाइनल में पहुंचाने वाले इकलौते कप्तान बन चुके हैं.
श्रेयस पर चेंबूर की छाप !
श्रेयस मुंबई के जिस चेंबूर इलाके में पले-बढ़े उसकी पहचान सिद्धि विनायक से भी है. श्रेयस ने क्रिकेट में अपनी सिद्धि से सबको हतप्रभ कर दिया. इसी चेंबूर के आरके स्टूडियो में राजकपूर ने लीक से हटकर फिल्में गढ़ीं. कंफर्ट जोन से निकलकर फिल्मों में प्रयोग किए. चेंबूर के श्रेयस कुछ वैसे ही तो लीक से हटकर लोहा मनवा रहे हैं. अब देखिए न, इसी चेंबूर में गेटवे ऑफ इंडिया है. और यहीं के श्रेयस के लिए इस बार का आईपीएल इंडियन क्रिकेट में उनके संभावित नए रोल का 'गेटवे' बनता दिख रहा है.
यह भी पढ़ें: 2025 Women's World Cup: वर्ल्ड कप के शेड्यूल का ऐलान, बेंगलुरु या कोलंबो में होगा फाइनल