विराट-सौरव विवाद पर पूरी तरह पर्दा गिरा भी नहीं है कि अब हरभजन सिंह ने संन्यास लेने के चंद दिन बाद ही परतें खोलना शुरू कर दिया है. भज्जी ने हाल ही में धोनी से उनकी कप्तानी में पर्याप्त समर्थन न मिलने की बात कही थी, तो अब भज्जी ने बीसीसीआई पर निशाना साधा है. अब हरभजन ने कहा है कि अगर बाकी कुछ खिलाड़ियों को भी बीसीसीआई की तरफ से धोनी जैसा ही समर्थन मिलता है, तो वह महान क्रिकेटरों में तब्दील हो जाते. भज्जी ने कहा कि बीसीसीआई की तरफ से धोनी को बाकी खिलाड़ियों के मुकाबले ज्यादा समर्थन मिला. भज्जी बोले कि अगर उन्हें और खेलने का मौका दिया जाता है, तो वह अपने करियर में और सौ-डेढ़ सौ विकेट और ले सकते थे. भज्जी ने अपने करियर में खेले 103 टेस्ट मैचों में 32.46 के औसत से 417 विकेट लिए. इसमें पारी में पांच विकेट लेने का कारनामा दस बार शामिल है, जबकि उन्होंने 236 वनडे मैचों में 269 विकेट चटकाए.
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भज्जी ने एक निजी चैनल से बातचीत में कहा कि धोनी को बाकी खिलाड़ियों के मुकाबले ज्यादा समर्थन मिला. अगर इन खिलाड़ियों को वैसा ही समर्थन मिलता, तो वे भी महान क्रिकेटर बन जाते. ये खिलाड़ी भी देश के लिए लंबे समय तक खेलते. उन्होंने कहा कि इसका मतलब यह नहीं कि मानो बाकी खिलाड़ी बल्ला भांजना भूल गए थे और वे अचानक से ही गेंदबाजी करना भूल गए थे.
बता दें कि साल 2011 विश्व कप के बाद हरभजन एकदम से ही टेस्ट समीकरण से बाहर हो गए थे और वह 2012 से लेकर 2015 के बीच केवल पांच ही टेस्ट मैच भारत के लिए खेले, तो साल 2012 से 2014 तक कोई वनडे मैच नहीं खेले. आखिरकार उनकी वापसी 2015 में हुयी.
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भज्जी ने कहा कि भाग्य ने हमेशा मेरा साथ किया और कुछ बाहरी कारक ही मेरे साथ नहीं था. या हो सकता है कि वे मेरे खिलाफ थे. उन्होंने कहा कि ऐसा इसलिए है क्योंकि जिस तरह की गेंदबाजी या जिस दर (इकॉनमी रेट) से मैं गेंदबाजी कर रहा था, मैं आगे जा रहा था. मैं तब केवल 31 साल का था मैं चार सौ विकेट ले चुका था. और अगर मैं उन्हीं मानकों के आधार पर अगले चार-पांच साल और खेलता, तो मैं सौ-डेढ़ सौ विकेट और ले लेता.
भज्जी ने दावा करते हुए कहा कि कुछ बीसीसीआई के अधिकारियों के कारण उनकी भारतीय टीम के सेट-अप से असामयिक विदायी हुयी. भज्जी यह भी बोले कि टीम के चयन हमेशा ही कप्तान और कोच की पहुंच से परे रहे हैं. उन्होंने कहा कि हां उस समय धोनी कप्तान थे, लेकिन मुझे लगता है कि चयन धोनी से ऊपर उठकर होते थे. कुछ हद तक इसमें बीसीसीआई के कुछ अधिकारी भी शामिल होते थे. ये अधिकारी मुझे नहीं चाहते थे. ऐसे में कप्तान खिलाड़ी का समर्थन कर सकता है, लेकिन कप्तान कभी भी बीसीसीआई से ऊपर नहीं हो सकता. बोर्ड अधिकारी हेशा ही कप्तान, कोच या टीम से बड़े रहे हैं.
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