IPL 2022: कप्तानी का दबाव से इस खिलाड़ी की भारतीय टीम से भी जगह जा सकती है, रवि शास्त्री बोले

शास्त्री ने कहा कि यह बात मुझे बहुत ही आहत करती है. मैं जानता हूं कि वह कितना अच्छा खिलाड़ी है, लेकिन यह सच है कि कप्तानी का दबाव किसी भी खिलाड़ी की मनोदशा को प्रभावित कर सकता है.

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पूर्व कोच शास्त्री ने एकदम सही बात पकड़ी है
नई दिल्ली:

सभी ने देखा कि कागज पर खासी मजबूत टीम होने के बावजूद पंजाब किंग्स आईरपीएल में प्रदर्शन में नियमितता के लिए जूझ रही है. और टीम प्ले-ऑफ राउंड में जगह नहीं बना सकी, तो उसकी एक वजह यह भी रही कि पंजाब के कप्तान मयंक अग्रवाल एक फ्लॉप शो साबित हुए और टीम को जरूरी योगदान नहीं दे सके. अब पूर्व दिग्गज और कोच रवि शास्त्री ने कहा है कि कप्तानी का असर उनकी  बल्लेबाजी को प्रभावित कर सकता है. और हो सकता है कि यहां से यह असर टीम इंडिया में उनकी जगह पर भी पड़े. मयंक अग्रवाल का प्रदर्शन कैसा रहा, यह आप इससे समझ सकते हैं कि किंग्सके कप्तान 12 मैचों में 16.33 के औसत से सिर्फ 196 रन ही बना सके. और अगर टीम प्ले-ऑफ में नहीं पहुंच सकी, तो उसका बड़ा दोष मयंक के सिर ही जाता है. 

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शास्त्री ने एक वेबसाइट से बातचीत में कहा कि मयंक अग्रवाल और रवींद्र जडेजा दोनों को ही कप्तानी मिलना उनकी बल्लेबाजी को प्रभावित कर सकता है. और यह सभी ने देखा भी कि कप्तानी मिलने के बाद कैसे ये दोनों जूझते रहे. पूर्व दिग्गज ने कहा कि ये दोनों एक ही नांव में सवार हैं. जिन खिलाड़ियों ने कभी भी कप्तानी नहीं की, फ्रेंजाइजी ने उन खिलाड़ियों को कप्तानी सौंपी. यहां मेरे मन में मयंक के प्रति कोई असम्मान नहीं है. मैं जानता हूं कि मयंक अपनी क्रिकेट कैसे खेलते हैं और वह मानसिक रूप से कितने मजबूत हैं. 

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शास्त्री ने कहा कि लेकिन मामला यह है कि एक अच्छा काम करने वाले खिलाड़ी को गलत जगह खड़ा करने जैसा है. इसके खासे गंभीर परिणाम हो सकते हैं और यह उनकी टेस्ट टीम इंडिया में जगह पर भी असर डाल सकती है. वजह यह है कि सेलेक्टर्स मयंक का आंकलन वर्तमान फॉर्म के आधार पर करेंगे. सेलेक्टर्स जो भी देखेंगे, वे उसी आधार पर उनका आंकलन करेंगे. पूर्व कोच ने यह भी कहा कि कप्तानी का बोझ किसी को भी दबाव में ला सकता है.  उन्होंने जडेजा का उदाहरण देते हुए कहा कि दबाव के पलों में जडेजा चेन्नई की कप्तानी में करने में विफल रहे.

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शास्त्री ने कहा कि यह बात मुझे बहुत ही आहत करती है. मैं जानता हूं कि वह कितना अच्छा खिलाड़ी है, लेकिन यह सच है कि कप्तानी का दबाव किसी भी खिलाड़ी की मनोदशा को प्रभावित कर सकता है. आपने देखा कि कप्तानी मिलने पर जडेजा कैसे बदल गए, तो मयंक अग्रवाल के खेल पर भी बहुत असर पड़ा. हम सभी जानते हैं कि दोनों कितने अच्छे खिलाड़ी हैं और इन दोनों का केस सभी फ्रेंचाइजी टीमों के लिए एक कड़ा संदेश है कि वे कप्तान का चयन करने में बहुत ही बुद्धिमानी का परिचय दें. 

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