भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी (Mahendra Singh Dhoni) को टीम इंडिया का सबसे सफलतम कप्तान माना जाता है. उनकी कप्तानी में भारत ने तीनों आईसीसी ट्रॉफी जीती हैं. 2007 में टी20 विश्व कप, 2011 में वनडे विश्व कप व साल 2013 में आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी, इसी बीच धोनी का एक बयान सामने आया है जिसमें वे स्कूली शिक्षा को लेकर बात करते हुए नज़र आ रहे हैं. साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि वे कभी कॉलेज नहीं गए लेकिन उन्हें लगता है कि ऐसा करके उन्होंने अच्छा ही किया. धोनी ने आगे कहा "कि टीचिंग एक पेशा ही नहीं बल्कि कला है जिसमें टीचर छात्रों को अनुशासित करके तराशते हैं. उन्होंने मशहूर तकनीक और शिक्षाविद प्रोफेसर के के अब्दुल गफ्फार की आत्मकथा के विमोचन के मौके पर यह बातें कही. धोनी ने शनिवार को एक कार्यक्रम में प्रोफेसर गफ्फार की आत्मकथा ‘ अनजान साक्षी' का विमोचन किया.
धोनी ने बयान में कही ये बातें
दुबई स्वास्थ्य प्राधिकरण के सीईओ मारवान अल मुल्ला को किताब की पहली प्रति धोनी (Dhoni) ने भेंट की. इस मौके पर धोनी ने कहा कि ,‘‘ एक शिक्षक को अपने छात्रों को समझाने के लिये हर चीज सरल करनी होती है. हर छात्र का आई क्यू स्तर अलग होता है और आपको सभी छात्रों को समझाना होता है. मुझे लगता है कि यह एक पेशा ही नहीं बल्कि कला है. इसमें आप छात्रों को अनुशासित करके उनके मजबूत और कमजोर पक्ष बताते हैं. मैं हमेशा से अपने स्कूल के शिक्षकों का बड़ा प्रशंसक रहा हूं. ''
उन्होंने कहा ,‘‘ मैं कभी कॉलेज नहीं गया लेकिन मुझे लगता है कि मैने जीवन में अच्छा ही किया .'' धोनी अपने करीबी मित्र डॉक्टर शाजिर गफ्फार के पिता की आत्मकथा के विमोचन के लिये खास तौर पर रांची से कासरगोड आये थे. (इनपुट भाषा से)
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