यह "गंभीर" समीक्षा कितने काम की? कितना भला होगा इन नियमों से, जानें प्रस्तावित में से इन 4 अहम नियमों के बारे में

Gautam Gambhir's review: ऑस्ट्रेलिया से करारी हार के हाद हाल ही में गंभीर, अगरकर, रोहित की BCCI के अधिकारियों के साथ रिव्यू मीटिंग हुई, इसके विषयों को लेकर पूर्व क्रिकेटरों, फैंस और मीडिया के बीच खासे चर्चे हैं

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नई दिल्ली:

These 4 important rule: पिछले दिनों ऑस्ट्रेलिया दौरे में 1-3 से शर्मनाक हार के बाद हाल ही में हेड कोच गौतम गंभीर (Gautam Gambhir), कप्तान रोहित शर्मा (Rohit Sharma), बीसीसीआई के पूर्व सचिव जय शाह, चीफ सेलेक्टर अजित अगरकर और एक और सीनियर खिलाड़ी की BCCI के अधिकारियों के साथ करीब छह घंटे समीक्षा बैठक हुई. एक के बाद एक-एक करके सूत्रों के हवाले से इस मीटिंग की खबरें बाहर आ रही हैं. इस मीटिंग में हेड कोच ने टीम इंडिया के खिलाड़ियों को अनुशासनहीन बताते हुए की मांगें बोर्ड के आला अधिकारियों से कर डाली. और इस साल जून में इंग्लैंड के दौरे से पहले बीसीसीआई गौतम द्वारा की गई मांगों में कइयों को नियमों में बदलने जा रहा है. कुछ नियम सामने आ गए हैं. इनमें से एक बड़ा वर्ग कुछ नियमों पर हंस रहा है, तो कुछ की तारीफ भी हो रही है, तो कुछ को लेकर सवाल भी हो रहे हैं कि आखिर यह पहले से लागू था, तो क्यों था? चलिए बारी-बारी से आपको विस्तार से 4 अहम नियमों के बारे में बता देते हैं, जिनकी सिफारिश भारतीय सीनियर प्रबंधन ने बीसीसीआई से की है.

1. पत्नियों/गर्लफ्रेंड पर लगाम

सबसे ज्यादा यही प्रस्तावित नियम चर्चा में हैं. और यह पूर्व क्रिकेटरों, फैंस और सोशल मीडिया पर जग-हंसाई का विषय बना हुआ है. प्रस्तावित नियम यह है कि अगर कोई विदेशी दौरा 45 दिन का है, तो पत्नी/गर्लफ्रेंड या कोई भी पारिवारिक सदस्य 14 दिन यानी दो हफ्ते से ज्यादा खिलाड़ी के साथ नहीं रह सकता. इस नियम को लेकर टीम के खिलाड़ी और हेड कोच एकमत हैं. छोटे विदेशी दौरे में पारिवारिक सदस्य एक हफ्ते तक खिलाड़ी के साथ बना रह सकता है. लेकिन यह नियम हर तरफ मजाक का विषय बना हुआ है. सवाल यह है कि जब ऑस्ट्रेलिया में  पहले भारतीय टीम ने दो सीरीज जीती थीं, तो उस समय खिलाड़ी विशेष की पत्नी या परिवार उनके साथ था. ऐसे में एकदम से पारिवारिक सदस्यों पर हार का ठीकरा क्यों फोड़ा जा रहा है? 

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2. फीस में कटौती का प्रस्ताव

समीक्षा बैठक में एक सीनियर खिलाड़ी ने यह भी प्रस्ताव रखा कि अगर खिलाड़ी घरेलू टूर्नामेंटों में नहीं खेल सकते हैं, तो उनकी मैच फीस का भुगतान न किया जाए. साथ ही इस खिलाड़ी ने यह भी कहा कि BCCI मैच फीस का भुगतान तुरंत न करके बाद में करे. अब बीसीसीआई इस प्रस्ताव को नियम में बदलता है या नहीं, यह देखने की बात होगी. वास्तव में वर्तमान हालात इस जरूरी नियम की मांग कर रहे हैं. बीसीसीआई कितना सहमत होता है, यह देखना होगा. लेकिन यह प्रस्ताव एकदम जायज है. अनुबंधित खिलाड़ी BCCI से सालाना मोटी फीस वसूलते हैं. ऐसे में उनकी पूरी जिम्मेदारी है कि वह घरेलू क्रिकेट में खेलकर युवाओं को प्रोत्साहित करें, लेकिन जब किसी बड़ी सीरीज के लिए विदेश जाने की होती है, तो तो चला रहा कोई भी राष्ट्रीय टूर्नामेंट उन्हें अनिवार्य रूप से खेलना ही चाहिए. और जो ऐसा नहीं करता है, तो निश्चित तौर पर खिलाड़ी विशेष की फीस में कटौती होनी चाहिए. 

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3. निजी स्टॉफ को साथ यात्रा की इजाजत नहीं

आ रही रिपोर्ट के अनुसार टीम में अनुशासन लाने के लिए बीसीसीआई ने खिलाड़ियों को अपने साथ निजी स्टॉफ साथ ले जाने पर रोक लगाने जा रहा है. इसमें शेफ, कुक, हेयर ड्रेसर, स्टाइलिस्ट, सिक्योरिटी गार्ड और सोशल मीडिया टीम शामिल है. उदाहरण के तौर पर हार्दिक पांड्या विदेशी दौरे में निजी शेफ साथ लेकर जाया करते थे. सवाल यह है कि आखिरकार बीसीसीआई ने इतनी आजादी पहले ही दी क्यों ? आखिर इस बात को पहले क्यों नोटिस नहीं किया गया? जब बीसीसीआई का अपना सोशल मीडिया मैनेजर टीम के साथ दौरे पर रहता है, तो खिलाड़ियों को पर्सनल सोशल मीडिया टीम ले जाने की इजाजत क्यों ? और  सवाल यह भी है कि आखिरकार BCCI की नींद इस बाबत इतनी देरी से क्यों टूटी? जब यह संस्कृति काफी पहले से चली आ रही है, तो किसने यह कल्चर पैदा किया? किसे इस संस्कृति के लिए  जिम्मेदार ठहराया जाए?

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4. निजी ट्रांसपोर्ट पर प्रतिबंध!

पिछले लंबे समय से चला रहा रहा था कि टीम इंडिया के कुछ खिलाड़ी खासकर सुपरस्टार प्रैक्टिस मैदान पर अलग-अलग समूहों पर अपने वाहन से आ रहे थे. इस मुद्दे को गंभीर ने जोर-शोर से मीटिंग में उठाया, तो उन्हें सीनियर खिलाड़ी का भी समर्थन मिला. और सवाल इसे लेकर भी है कि आखिरकार "पानी" इतना ऊंचा कैसे चला गया? ऑस्ट्रेलिया में भी देखा गया कि कई खिलाड़ी होटल से टीम बस में न आकर अलग-अलग ग्रुप में प्रैक्टिस के लिए टैक्सी से मैदान पर पहुंच रहे थे. और यह पहलू अपने आप में सबकुछ कहने, बताने और समझाने के लिए काफी है. यह बताने के लिए काफी है कि कैसे टीम अलग-अलग ग्रुपों में बंटी हुई है. वास्तव में गंभीर ने यह मुद्दा सामने लाकर एक तरह से चले आ रहे कल्चर या टीम के माहौल को सामने लाने का काम किया है. यह जरूरी है कि अभ्यास के लिए टीम होटल से सभी खिलाड़ी एक साथ मैदान पर आएं और एक साथ ही वापस लौटें

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