केनिंगटन ओवल में वीरवार से शुरू हुए चौथे टेस्ट के पहले दिन जब करोड़ों भारतीयों ने फाइनल XI देखी, तो रविचंद्रन अश्विन (Ravihandran Ashwin) का नाम न देखकर हर कोई हैरान रह गया. पिछले मैच में मिली हार के बाद पहले दिन टॉस के समय कप्तान विराट कोहली (Virat Kohli) ने जो सफायी दी या तर्क रखे, वो खास तौर प्रशंसकों और पूर्व क्रिकेटरों के रत्ती भर गले नहीं उतरे. चंद रोज पहले ही रविचंद्रन अश्विन ने सोशल मीडिया पर तस्वीरें साझा की थीं, जिसमें वह बल्लेबाजी अभ्यास करते नजर आ रहे थे. एक तस्वीर में कवर ड्राइव लगा रहे थे तो दूसरी में गेंद को छोड़ते हुए दिख रहे थे. इसमें खास बात यह थी कि वह बायें हाथ से अभ्यास कर रहे थे और ट्वीट में लिखा था,‘हर रोज कुछ नया सीखने की इच्छा कभी खत्म नहीं होती.' लेकिन इस तस्वीर के जरिए एक तरह से अश्विन ने मैसेज देने या तंज कसने की कोशिश की थी और समझने वाले ट्वीट को लेकर सब समझ गए.
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बहरहाल, भाारतीय कप्तान विराट कोहली ने वीरवार को टॉस के समय एक बार फिर कहा कि टेस्ट क्रिकेट में सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले चौथे भारतीय गेंदबाज अश्विन उन पांच सर्वश्रेष्ठ गेंदबाजों में से नहीं हैं, जो इंग्लैंड के खिलाफ ओवल टेस्ट खेलेंगे. पिछले तीन टेस्ट में दो विकेट लेने वाले रवींद्र जडेजा को खब्बू बल्लेबाजी के कारण टीम में रखा गया, लेकिन यह फैसला तो बल्लेबाजी में औंधे मुंह ही गिरा और जडेजा सिर्फ 10 रन का ही योगदान दे सके.
कोहली ने कहा,‘हमें लगा कि हालात के अनुरूप जडेजा सही बैठते हैं. टीम में बायें हाथ के खिलाड़ी के लिये जगह है और वह इस समय बतौर बल्लेबाज टीम को संतुलन दे रहे हैं.' उनका यह तर्क हालांकि क्रिकेट पंडितों के गले नहीं उतरा. इंग्लैंड के पूर्व कप्तान माइकल वॉन ने कहा,‘ब्रिटेन में चार टेस्ट में एक में भी रविचंद्रन अश्विन का चयन नहीं होना सबसे बड़े ‘चयन नहीं करने 'के फैसले में से है जो हमने देखे हैं. 413 टेस्ट विकेट और पांच टेस्ट शतक. पागलपन है.'
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आम तौर पर विवादास्पद टिप्पणी नहीं करने वाले मार्क वॉ ने उस पर जवाब लिखा, ‘हैरानी हो रही है कि क्या भारतीय खेमे ने कुछ सोचा नहीं.'टॉस के समय अश्विन को बाहर रखने के फैसले पर कोहली का जवाब सुनने वाले भारत के एक पूर्व क्रिकेटर ने कहा,‘क्या उसने यह कहा कि चार खब्बू बल्लेबाजों के सामने आर अश्विन से बेहतर रवींद्र जडेजा है. उसने अपने तेज गेंदबाजों की बात कही.' उन्होंने कहा,‘जडेजा की गेंदबाजी को देखो और क्या आपको यकीन है कि आप उसे इतने रन दे सकोगे कि वह चौथे या पांचवें दिन पिच में पड़ने वाली दरारों का इस्तेमाल कर सके.'
एक अतिरिक्त बल्लेबाज को उतारने का समर्थन करने वाले सुनील गावस्कर ने कहा कि एक बार टीम की घोषणा होने पर वह उसका समर्थन करेंगे और नतीजा निकलने तक अपनी राय नहीं देंगे. टेस्ट के नतीजे पर कयास लगा पाना मुश्किल है. हो सकता है कि भारत जीत जाये लेकिन कप्तान कोहनी की सोच पर बहस जरूर छिड़ गई है. उनके समर्थकों के लिये यह उनकी दृढता है तो आलोचकों के लिये उनकी जिद. यह समझ पाना मुश्किल है कि स्पिनरों की मददगार पिच पर ऐसे गेंदबाज को कैसे बाहर रखा जा सकता है जिसने काउंटी मैच में छह विकेट लिये हैं.
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इसके साथ ही अश्विन जडेजा से किसी मायने में कमतर स्पिनर नहीं हैं . उन्हें मध्यक्रम के बल्लेबाजों की नाकामी का खामियाजा भुगतना पड़ रहा है. जडेजा श्रृंखला में 133 रन बना चुके हैं जबकि अजिंक्य रहाणे ने तीन टेस्टमें 95 रन बनाये हैं. कप्तान कोहली ने इस सत्र में ब्रिटेन में चार टेस्ट (विश्व टेस्ट चैम्पियनशिप फाइनल समेत) में एक भी शतक नहीं लगाया है. उन्होंने आखिरी टेस्ट शतक नवंबर 2019 में बांग्लादेश के खिलाफ लगाया था.
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