- वीरेंद्र सहवाग ने 2007-08 में वनडे क्रिकेट से संन्यास लेने का विचार ऑस्ट्रेलिया दौरे के दौरान किया था
- सहवाग को त्रिकोणीय सीरीज में कुछ मैचों से बाहर बैठाया गया था, जिससे उन्हें निराशा हुई थी
- सहवाग ने इस फैसले पर सचिन तेंदुलकर से सलाह ली, जिन्होंने भावनाओं में जल्दबाजी न करने को कहा था
करोड़ों क्रिकेटप्रेमी यह जानते हैं कि पूर्व ओपनर वीरेंद्र सहवाग (Virender Sehwag) और पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी के बीच अपने दौर में रिश्ते कैसे रहे थे. इसकी एक बानगी यह भी है कि भारत जब साल 2007 में दक्षिण अफ्रीका में खेले गए पहले टी20 विश्व कप मैच के फाइनल में पहुंचा, तो पाकिस्तान के खिलाफ खिताबी टक्कर में सहवाग को ड्रॉप करके यूसुफ पठान को खिलाया गया. और ऐसे कई उदाहरण हैं. अब वीरू ने कहा है कि उन्होंने साल 2007-08 में वनडे क्रिकेट से संन्यास लेने पर विचार किया था. सहवाग ने कहा कि उन्होंने ऐसा उन्होंने ऑस्ट्रेलिया दौरे में खेली गई त्रिकोणीय सीरीज में मेजबान और श्रीलंका के खिलाफ मुकाबलों से इलेवन से बाहर बैठाए जाने के बाद सोचा. इस सीरीज में सहवाग ने 5 मैचों में 81 रन बनाए थे. इसके बाद सहवाग की जगह रॉबिन उथप्पा को सचिन का जोड़ीदार चुना गया.
सहवाग ने एक यू-ट्यूब चैनल पर बातचीत में कहा, 'उन्होंने वनडे से संन्यास लेने के बारे में सचिन तेंदुलकर से चर्चा की थी. इस पर सचिन ने उन्होंने भावनाओं में न बेहतर फैसला लेने में और समय लेने की सलाह दी. और वनडे से तब संन्यास न लेने का फैसला आखिर में सही साबित हुआ क्योंकि बाद में हमने साल 2011 में विश्व कप जीता.'
सहवाग ने कहा, 'साल 2007-08 सीरीज में ऑस्ट्रेलिया में मैं शुरुआती तीन मैच खेला, लेकिन उसके बाद मुझे टीम में नहीं चुना गया. तब मैंने महसूस किया कि अगर मैं XI का हिस्सा नहीं हो सकता है, तो वनडे खेलना का कोई मतलब नहीं है. तब मैं तेंदुलकर के पास गया और कहा कि मैं वनडे से संन्यास लेने के बारे में सोच रहा हूं. इस पर उन्होंने कहा कि नहीं और वह भी साल 1999-2000 में इस दौर से गुजर चुके हैं.'
वीरू बोले, 'सचिन ने कहा कि तब उन्होंने महसूस किया कि मुझे क्रिकेट छोड़ देना चाहिए, लेकिन वह दौर आया और चला गया. तुम भी इस दौरे से गुजर रहे हो. आप तब कोई फैसला मत लो, जब भावुक होते हो. अपना समय और 1-2 सीरीज लो. उसके बाद ही कोई फैसला लेना.' सहवाग ने कहा, 'जब सीरीज खत्म हो गई, तो मैं अगली सीरीज में खेला और बहुत ज्यादा रन बनाए. मैं साल 2011 विश्व में खेला और हम विश्व चैंपियन बने.'