मुंबई (Mumbai) में 28 सितंबर को गणपति विसर्जन (Ganpati Visarjan) के दौरान गिरगांव चौपाटी पर लाखों की संख्या में भीड़ उमड़ी. इसमें वयस्कों के अलावा बच्चे भी बड़ी संख्या में शामिल थे. इस दौरान भीड़ में कुल 22 बच्चे अपने परिवारों से बिछड़ गए. यह बच्चे सात से 14 साल की उम्र के थे. पुलिस ने सूचना मिलने पर उनके माता-पिता की खोज की और कुल 22 बच्चों को सुरक्षित रूप से उनके माता-पिता तक पहुंचाया.
बच्चों के खोने के बारे में सूचना मिलने पर पुलिस की एक टीम बनाई गई. इसमें एपीआई साठे और महिला सिपाही थीं. पुलिस अधिकारी दीपाली कंडलकर ने अपनी बुद्धिमता से बच्चों के साथ प्यार से बातचीत की और उनसे उनके माता-पिता के बारे में सभी जानकारी ली. इसके आधार पर उन्होंने उनके माता-पिता की खोज की और बच्चों को उनके माता-पिता तक पहुंचा दिया.
इसमें कुछ बच्चों को टीम के अधिकारियों ने भोजन और उनके मनपसंद पेय पदार्थ भी दिए. उनसे बातचीत करते हुए कुछ के हाथों में मौजूद मोबाइल फोन का पैड खुलवाया, तो कुछ ने अपने माता-पिता के मोबाइल नंबर डायल किए.
पुलिस टीम को कुछ बच्चों के माता-पिता ने उनकी मौजूदगी के क्षेत्र के बारे में जानकारी दी गई. इसके आधार पर बीट मार्शल से उस क्षेत्र की खोज करके उनका पता लगा लिया गया.
इन गुम हुए बच्चों में एक सात साल का लड़का भी था. वह बिलकुल बात नहीं कर रहा था. वह बार-बार पूछने के बावजूद कोई प्रतिक्रिया नहीं दे रहा था. लड़के को कई बार मोबाइल फोन दिया गया और नंबर डायल करने के लिए कहा गया, लेकिन वह केवल अपने माता-पिता के मोबाइल नंबर के पहले 06 अंक ही डायल कर सका. जिससे उसके माता-पिता से संपर्क करना असंभव हो गया.
पुलिस टीम ने रात भर उस बच्चे की देखभाल की. उसके पसंद का खाना दिया गया. चूंकि वह थका हुआ था, इसलिए खाना खाने के बाद वह तुरंत सो गया. सुबह जब लड़का उठा तो उससे दोबारा पूछताछ की गई. तब उसने बताया कि वह नागपाड़ा में एक गणपति मंडल के पास वाली बिल्डिंग की पहली मंजिल पर रहता है. इस आंशिक जानकारी के आधार पर उसके पिता का पता लगाया गया और उसे भी उसके परिवार को सुरक्षित सौंप दिया गया.
गणेश प्रतिमाओं के विसर्जन के दौरान मुंबई पुलिस के ज्वाइंट सीपी (कानून व्यवस्था) सत्यनारायण चौधरी लगातार पूरे क्षेत्र में घूमते रहे और आवश्यक निर्देश देते रहे.