#MeToo पीड़ित अपनी आपबीती बताएं, कोई कुछ भी नहीं लिख सकता : बॉम्बे हाई कोर्ट

बॉम्बे हाई कोर्ट में विकास बहल मानहानि मुक़दमे की सुनवाई हुई, अदालत ने गाइडलाइन बनाने की जरूरत जताई

#MeToo पीड़ित अपनी आपबीती बताएं, कोई कुछ भी नहीं लिख सकता : बॉम्बे हाई कोर्ट

बॉम्बे हाईकोर्ट.

मुंबई:

विकास बहल मानहानि मुक़दमे की सुनवाई करते हुए बॉम्बे हाई कोर्ट ने कई अहम बातों पर ज़ोर दिया. खासकर  मी टू मूवमेंट पर कहा कि मी टू सिर्फ़ पीड़ित लोगों के लिए है ताकि वे आगे आकर अपनी आपबीती बता सकें. इसलिए नहीं है कि कोई भी कुछ भी लिखे. इसके लिए गाइडलाइन बननी चाहिए ताकि इसका दुरुपयोग न हो.

दरअसल यह मामला मी टू मूवमेंट के तहत एक महिला ने विकास बहल पर यौन शोषण का आरोप लगाया है.  अनुराग कश्यप और फैंटम प्रोडक्शन के बाकी भागीदारों ने आरोप को आधार बना फैंटम को बंद करने की घोषणा की है.

जबकि विकास बहल का कहना है कि ये सिर्फ़ बहाना है. अनुराग और बाकी लोग उस महिला का इस्तेमाल कर रहे हैं. फैंटम बंद करने का इरादा बाकी लोगों ने पहले ही बना लिया था. इसी बात को आधार बनाते हुए विकास ने अनुराग कश्यप, विक्रमादित्य मोटवानी और मधु मेंटो के ख़िलाफ़ मानहानी का मुकदमा किया है.

पिछली सुनवाई में कश्यप और बाकी लोगों के वक़ीलों ने पीड़िता को पार्टी बनाने की गुजारिश कोर्ट से की. उन्होंने कहा कि ऐसा होने पर सच सामने लाने में बहुत मदद मिलेगी.

अदालत ने आज पीड़िता को कोर्ट में तलब किया था. पीड़िता तो नहीं आई लेकिन उसके वकील ने हाजिर रहकर
बताया कि पीड़िता इस मामले में न तो पार्टी बनना चाहती है, न कोई शिकायत दर्ज करना चाहती है और न ही मीडिया से बात करना.

इस पर कोर्ट ने कहा कि अगर ऐसा है तो कोई भी इस मामले में अब कुछ नहीं लिख सकता और पीड़ित महिला को यही कहते हुए एक हलफनामा देना होगा. लेकिन महिला के वकील ने साफ किया कि वह हलफनामा के बजाय एक लिखित बयान दे सकती है.

इस पर विकास के वकील ने कहा कि हम भी नहीं चाहते कि महिला शिकायत करे, पर यह मीडिया ट्रायल बंद होना चाहिए. मामले की अगली सुनवाई मंगलवार को होगी.


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