नई दिल्ली:
सरकार फुटवियर डिजायन एवं विकास संस्थान (एफडीडीआई) डीम्ड विश्वविद्यालय का दर्जा देने पर काम कर रही है जिसके छात्रों की मांग है कि उन्हें डिप्लोमा के स्थान पर डिग्री प्रदान की जाए। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि इस संबंध में मानव संसाधन विकास मंत्रालय के साथ बातचीत जारी है और इस मसले पर प्रधानमंत्री कार्यालय से सलाह मांगी गई है।
निर्मला ने कहा, मैं इस मसले का सही समाधान चाहती हूं। छात्रों को परेशानी में नहीं डालना चाहिए लेकिन यह विरासत में मिली एक समस्या है। हम उनके लिए इसे एक डीम्ड विश्वविद्यालय का दर्जा देने पर काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय उन नियमों पर विचार कर रहा है जो यह बताएगा कि कौन डीम्ड विश्वविद्यालय का दर्जा पाने की लिए पात्र है। मंत्रालय हमें सलाह दे रहा है और इस मसले पर कार्य हो रहा है।
इस मसले को सुलझाने के लिए उत्सुक निर्मला ने इससे जुड़े मंत्रालयों, विभागों, छात्रों और अभिभावकों के साथ दर्जनभर बैठकें की हैं। पिछले महीने नोएडा स्थित एफडीडीआई के करीब 200 छात्रों ने इस मसले पर बवाल काटा था और परिसर को नुकसान पहुंचाने के साथ-साथ दो बसों को भी क्षति पहुंचाई थी।
छात्रों को डिग्री प्रदान करने के लिए एफडीडीआई ने 2012 में मेवाड़ विश्वविद्यालय के साथ समझौता ज्ञापन पत्र पर हस्ताक्षर किए थे लेकिन पिछले साल विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने इस समझौते को अमान्य करार दे दिया था और इसके चलते छात्रों ने काफी विरोध प्रदर्शन किया था।
निर्मला ने कहा, मैं इस मसले का सही समाधान चाहती हूं। छात्रों को परेशानी में नहीं डालना चाहिए लेकिन यह विरासत में मिली एक समस्या है। हम उनके लिए इसे एक डीम्ड विश्वविद्यालय का दर्जा देने पर काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय उन नियमों पर विचार कर रहा है जो यह बताएगा कि कौन डीम्ड विश्वविद्यालय का दर्जा पाने की लिए पात्र है। मंत्रालय हमें सलाह दे रहा है और इस मसले पर कार्य हो रहा है।
इस मसले को सुलझाने के लिए उत्सुक निर्मला ने इससे जुड़े मंत्रालयों, विभागों, छात्रों और अभिभावकों के साथ दर्जनभर बैठकें की हैं। पिछले महीने नोएडा स्थित एफडीडीआई के करीब 200 छात्रों ने इस मसले पर बवाल काटा था और परिसर को नुकसान पहुंचाने के साथ-साथ दो बसों को भी क्षति पहुंचाई थी।
छात्रों को डिग्री प्रदान करने के लिए एफडीडीआई ने 2012 में मेवाड़ विश्वविद्यालय के साथ समझौता ज्ञापन पत्र पर हस्ताक्षर किए थे लेकिन पिछले साल विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने इस समझौते को अमान्य करार दे दिया था और इसके चलते छात्रों ने काफी विरोध प्रदर्शन किया था।
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