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This Article is From Aug 10, 2020

फाइनल ईयर एग्जाम पर SC में सुनवाई, SG ने कहा- परीक्षा कराई जाएंगी या नहीं यह फैसला UGC करेगा

Final Year Exams 2020: कोरोना काल में यूनिवर्सिटी और कॉलेजों में अंतिम वर्ष की परीक्षाओं को रद्द करने की याचिका पर आज सुप्रीम कोर्ट में एक बार फिर से सुनवाई हुई.

फाइनल ईयर एग्जाम पर SC में सुनवाई, SG ने कहा- परीक्षा कराई जाएंगी या नहीं यह फैसला UGC करेगा
Final Year Exams 2020: अगली सुनवाई 14 अगस्त को होगी.
नई दिल्ली:

Final Year Exams 2020: कोरोनावायरस महामारी के बीच यूनिवर्सिटी और कॉलेजों में अंतिम वर्ष की परीक्षाएं आयोजित करना एक बड़ा मुद्दा बना हुआ है. कोरोना काल में यूनिवर्सिटी और कॉलेजों में अंतिम वर्ष की परीक्षाओं को रद्द करने की याचिका पर आज सुप्रीम कोर्ट में एक बार फिर से सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान UGC ने दिल्ली और महाराष्ट्र सरकार के अंतिम वर्ष की परीक्षा रद्द करने के फैसले पर सवाल उठाए हैं. UGC की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट में कहा कि परीक्षा आयोजित की जाएंगी या नहीं, यह फैसला UGC ही कर सकता है, क्योंकि सिर्फ UGC ही डिग्री प्रदान कर सकता है. कोर्ट ने UGC से इस मसले पर अपना जवाब दाखिल करने के लिए कहा है. अब इस मामले में अगली सुनवाई 14 अगस्त को की जाएगी.

सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार ने अदालत को बताया कि उसने DU के अपने कॉलेजों में परीक्षा रद्द करने का फैसला किया है. वहीं, दूसरी ओर महाराष्ट्र सरकार ने कोर्ट को बताया कि 13 जुलाई को स्टेट डिजास्टर मैंनेजमेंट अथॉरिटी ने प्रस्ताव पास किया है कि परीक्षा ना कराई जाएं. इसपर सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि यह छात्रों के हित में नहीं होगा कि परीक्षा ना हों. 

वहीं, पिछली सुनवाई में केंद्र और यूजीसी की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ को सूचित किया था कि गृह मंत्रालय के दृष्टिकोण से वह न्यायालय को अवगत करायेंगे. मेहता ने यह भी कहा था कि वे अंतिम वर्ष की परीक्षाओं को लेकर चिंतित हैं, क्योंकि देश में 800 से ज्यादा विश्वविद्यालयों में से 209 ने परीक्षा प्रक्रिया पूरी कर ली हैं. उन्होंने कहा था कि इस समय करीब 390 विश्वविद्यालय अंतिम वर्ष की परीक्षायें आयोजित करने की तैयारी कर रहे हैं. 

पिछली सुनवाई में फाइनल ईयर परीक्षाओं पर याचिकर्ता की ओर से अभिषेक मनु सिंघवी ने कोर्ट से कहा था कि अप्रैल के महीने में जारी हुई गाइडलाइन्स को यूजीसी (UGC) ने जुलाई के महीने में बदल दिया है. इस पर कोर्ट ने कहा था कि यूजीसी को ऐसा करने का अधिकार है और वो ऐसा कर सकते हैं. इस पर सिंघवी ने कहा था कि जुलाई में जारी हुई गाइडलाइन्स अप्रैल वाली गाइडलाइन्स से भी ज्यादा सख्त हैं. उन्होंने कोर्ट में यह भी कहा कि देश में कई सारे ऐसे विश्विद्यालय हैं, जहां ऑनलाइन परीक्षाओं के लिए जरूरी सुविधाएं नहीं हैं. सिंघवी की इस दलील पर कोर्ट ने कहा था कि यूजीसी की गाइडलाइन्स (UGC Guidelines) में परीक्षाएं ऑफलाइन देने का भी विकल्प है.

इसपर सिंघवी ने कहा  था कि लेकिन बहुत से लोग स्थानीय हालात या बीमारी के चलते ऑफलाइन परीक्षा नहीं दे पाएंगे. उन्हें बाद में परीक्षा देने का विकल्प देने से और भ्रम फैलेगा. सिंघवी की इस दलील पर कोर्ट ने कहा था कि ये फैसला तो छात्रों के हित में ही दिखाई दे रहा है. 

वहीं, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने कुछ दिन पहले सुप्रीम कोर्ट (SC) में अपना जवाब दाखिल किया था, जिसमें कहा गया था कि फ़ाइनल ईयर की परिक्षाएं (Final Year Exams) 30 सितंबर तक आयोजित करवाने का मक़सद छात्रों का भविष्य संभालना है, ताकि छात्रों के अगले साल की पढ़ाई में कोई रुकावट न आए. आगे कहा गया था कि टर्मिनल वर्ष के दौरान अंतिम वर्ष के छात्रों के लिए परीक्षाएं आयोजित कर के उनके द्वारा अध्ययन किए गए "विशेष इलेक्टिव पाठ्यक्रमों” का परीक्षण करना आवश्यक है.

यूजीसी ने अपने जवाब में याचिकर्ताओं और विभिन्न राज्य सरकार की चिंताओं को पर्याप्त रूप से संबोधित किया था. UGC ने कोर्ट से सभी याचिकाओं को खारिज करने की मांग हलफनामा में की थी. UGC ने कहा था कि टर्मिनल परीक्षा का आयोजन एक "समय-संवेदनशील" मुद्दा है और HRD के दिशा- निर्देशों का पालन करके विशेषज्ञों के साथ विचार-विमर्श के बाद ये परीक्षाएं कराने निर्णय लिया गया था.

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