सावित्रीबाई फुले, महिला शिक्षा को लेकर शुरू की गई अपनी लड़ाई के लिए बनी मिसाल

फुले की संघर्ष की वजह से ही आज देश में महिलाओं को पुरुषों के सामान ही अधिकार देने की बात की जा रही है.

सावित्रीबाई फुले, महिला शिक्षा को लेकर शुरू की गई अपनी लड़ाई के लिए बनी मिसाल

सावित्रीबाई फुले की फाइल फोटो

खास बातें

  • सबसे पहले महिलाओं के लिए उठाई थी आवाज
  • कन्या शिशु के लिए खोला था आश्रम
  • महिलाओं को शिक्षित करने के लड़ी थी लड़ाई
नई दिल्ली:

देश में महिलाओं को शिक्षित करने और उनके अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ने वालों में शीर्ष लोगों में शामिल रही हैं. आज हम उनका जन्मदिन मना रहे हैं. इस मौके पर हम उनके जीवन से प्रेरणा लेकर लड़कियों को शिक्षित करने और महिलाओं के अधिकारों दिलाने के लिए लड़ाई लड़ने का प्रण ले सकते हैं. आज से करीब डेढ़ सौ साल पहले फुले ने महिलाओं को भी पुरुषों की तरह ही सामान अधिकार दिलाने की बात की थी.

यह भी पढ़ें: दहेज में कार नहीं देने पर शौहर ने पत्‍नी को दिया तीन तलाक

महिलाओं की शिक्षा के प्रति उनके संघर्ष का ही नतीजा है कि बीते डेढ़ सौ साल में महिलाओं के अधिकार को लेकर हर स्तर पर लड़ाई लड़ी गई. और आज महिलाओं को सामाज में पुरुषों के सामान अधिकार देने की कवायत जोरों पर है. फुले ने सिर्फ महिला अधिकार पर ही काम नहीं किया, उन्होंने कन्या शिशु हत्या को रोकने के लिए भी खास तौर पर काम किया.

यह भी पढ़ें: दूसरे धर्म में शादी करने वाली पारसी महिला 'टॉवर ऑफ साइलेंस' में जा सकेगी

इसके लिए उन्होंने न सिर्फ अभियान चलाया बल्कि नवजात कन्या शिशु के लिए आश्रम तक खोला. ताकि उन्हें बचाया जा सके. फुले देश में आज भी कितनी लोकप्रिय हैं इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पिछले साल गूगल ने उनके जन्मदिन पर गूगल डूडल के जरिए उन्हें श्रद्धांजलि दी थी. 

VIDEO: तीन तलाक पर तेज हुई बहस




 


Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com