18 नवंबर (November 18) देश के लिए बेहद महत्वपूर्ण दिन है. वर्ष 1962 में आज ही के दिन रेजांगला (Rezang La) में भारतीय जवानों ने अपने साहस और पराक्रम का परिचय देते हुए चीन के 1300 सैनिकों को मार गिराया था. वहीं, 120 में से 114 सैनिक चीनी सेना के खिलाफ लड़ते हुए शहीद हो गए थे. लद्दाख की बर्फीली चोटी पर स्थित रेजांगला पोस्ट पर हुए युद्ध (Rezang La Battle) की गौरवगाथा अद्वितीय है. 18 नवंबर की सुबह लद्दाख की चुशुल घाटी बर्फ से ढंकी हुई थी. घाटी में शांत माहौल था लेकिन अचानक यहां गोलीबारी शुरू हो गई. चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के करीब 5,000 से 6,000 जवानों ने गोला-बारूद और तोप के साथ लद्दाख पर हमला बोल दिया.
13 कुमाऊं की एक टुकड़ी चुशुल घाटी की हिफाजत पर तैनात थी. इस टुकड़ी का नेतृत्व मेजर शैतान सिंह कर रहे थे. भारतीय सेना के पास केवल 120 जवान थे जबकि चीन के पास बड़ी सेना थी. लेकिन भारतीय जवानों ने साहस दिखाते हुए दुश्मनों का डट कर सामना किया. 13 कुमाऊं के वीर सैनिकों ने सही जवाबी कार्रवाई शुरू की. मेजर शैतान सिंह ने इस युद्ध में अहम भूमिका निभाई थी, उन्होंने गोलियों की बौछार के बीच एक प्लाटून से दूसरी प्लाटून जाकर सैनिकों का नेतृत्व किया.
मेजर का काफी खून बह चुका था और उन्हें उनके दो साथी उठाकर ले जा रहे थे. इसी बीच चीनी सैनिकों ने उन पर मशीन गन से हमला कर दिया. मेजर ने अपने साथियों की जान के खतरे को ध्यान में रखते हुए उन्हें पीछे जाने को कहा. मगर उन सैनिकों ने उन्हें एक पत्थर के पीछे छिपा दिया.
बाद में इसी जगह पर उनका पार्थिव शरीर मिला. इस युद्ध लड़ते हुए 120 में से 114 सैनिक शहीद हो गए थे. भारतीय सैनिकों के इस पराक्रम के आगे चीनी सेना को भी झुकना पड़ा और अंततः 21 नवंबर को उसने सीजफायर का ऐलान कर दिया. शैतान सिंह की वीरता को सम्मान देते हुए भारत सरकार ने वर्ष 1963 में उन्हें परमवीर चक्र से सम्मानित किया था. बता दें कि रेज़ांग ला को अहीर धाम भी कहा जाता है.
अन्य खबरें
Justice Bobde: कौन हैं 47वें चीफ जस्टिस शरद अरविंद बोबड़े? जानिए उनसे जुड़ी 10 बातें
एग्जाम स्ट्रेस दूर करने के लिए स्टूडेंट्स को कब्र में लिटा रही है ये यूनिवर्सिटी, जमकर हो रही है बुकिंग
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं