संसद की एक समिति ने मंगलवार को शिक्षा मंत्रालय को सुझाव दिया कि 10वीं और 12वीं कक्षा के छात्रों को बड़ा ‘क्वेश्चन बैंक' दिया जाए और बोर्ड परीक्षाओं में इन्हीं में से प्रश्न दिये जाएं, ताकि कोरोनावायरस महामारी के चलते पढ़ाई अधूरी रह जाने की भरपाई की जा सके. शिक्षा से संबंधित स्थायी समिति से जुड़े सूत्रों ने बताया कि स्कूली शिक्षा पर कोविड-19 के असर पर मंत्रालय के अधिकारियों ने समिति को जानकारी दी.
ऐसी खबरें आती रही हैं कि इंटरनेट की सुविधा नहीं होने के कारण बहुत सारे बच्चे डिजिटल कक्षाओं के माध्यम से पढ़ाई नहीं कर पाए. सूत्रों के मुताबिक, समिति के सदस्यों ने गरीब परिवारों के बच्चों के लिए ऑनलाइन कक्षाओं की व्यावहारिकता पर भी सवाल खड़े किए. समिति के अध्यक्ष और भाजपा सांसद विनय सहस्रबुद्धे ने कहा कि मंत्रालय को विज्ञापनों और अन्य माध्यमों से दूरदर्शन एवं आकाशवाणी द्वारा विभिन्न विषयों की पढ़ाई का प्रसारण किए जाने का प्रचार-प्रसार करना चाहिए था.
सूत्रों ने बताया कि भाजपा सांसद ने दूरदर्शन और आकाशवाणी को इंटरनेट सुविधा के मुकाबले ज्यादा किफायती करार दिया और कहा कि इन दोनों माध्यमों की देश में व्यापक पहुंच है. उल्लेखनीय है कि शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने पिछले दिनों घोषणा की थी कि 10वीं और 12वीं कक्षाओं की बोर्ड परीक्षा इस बार पांच मई से 21 जून के बीच होगी.
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