परीक्षा पे चर्चा (Pariksha Pe Charcha) के दौरान प्रधानमंत्री मोदी (PM Narendra Modi) ने स्टूडेंट्स को सफलता के मंत्र बताएं. मोदी ने स्टूडेंट्स को तनाव न लेने की सलाह दी. परीक्षा पे चर्चा (Pariksha Pe Charcha 2019) के दौरान उन्होंने कहा कि अगर हम ये सोचें कि यह ज़िंदगी की परीक्षा नहीं है तो हमारा भार कम हो जाएगा. इस परीक्षा के बाहर भी ज़िंदगी है. एग्जाम को हम एक अवसर माने तो इसमें मजा आएगा. मेरा तो सिद्धांत है कि कसौटी कसती है, कसौटी कोसने के लिए नहीं होती है. उन्होंने कहा कि जब बच्चा चलना सीखता है और चलते हुए गिरता है तो मां ताली बचाती है. मां ताली इसलिए नहीं बजाती कि उसके गिरने से उसे खुशी हुई. बल्कि इसलिए बजाती है कि बच्चा सीखे कि गिरना भी बुरा नहीं है. वह गिरता है, सीखता है और फिर मां उसकी पसंद की कोई चीज लेकर दूर खड़ी हो जाती है. बच्चा उस चीज की उम्मीद में चलकर जाता है. बस ऐसी ही होती हैं उम्मीदें. आइये जानते हैं प्रधानमंत्री मोदी द्वारा कही गई बातों के बारे में जिन्हें अपना कर आप बेफिक्र होकर परीक्षा की तैयारी कर सकते हैं.
'परीक्षा पे चर्चा' (Pariksha Pe Charcha) कार्यक्रम में पीएम मोदी द्वारा दी गई टिप्स
1. आप अपनी तुलना अपने पुराने रिकॉर्ड से कीजिए, आप कंपटीशन अपने रिकॉर्ड से कीजिए, आप अपने रिकॉर्ड ब्रेक कीजिए, आप अगर खुद के रिकॉर्ड ब्रेक करेंगे तो आपको कभी भी निराशा के गर्त में डूबने का मौका नहीं मिलेगा.
2. लक्ष्य ऐसा होना चाहिए जो पहुंच में हो, पर पकड़ में न हो, एक बार पहुंच वाला लक्ष्य पकड़ में आ जाएगा. तो हमें दूसरे लक्ष्य के लिए प्रेरणा मिलेगी.
3. जो सफल लोग होते हैं, उन पर समय का दबाव नहीं होता है. ऐसा इसलिए क्योंकि उन्होंने अपने समय की कीमत समझी होती है.
4. पीएम ने कहा, जीवन को विस्तृत कर दें, जीवन से सीखना शुरू कर दें, आपकी जिंदगी बदलेगी.
5. मां-बाप और शिक्षकों को बच्चों की तुलना नहीं करनी चाहिए. इससे बच्चों पर बुरा प्रभाव पड़ता है. हमें हमेशा बच्चों को प्रोत्साहित करना चाहिए
6. Pubg और Fortnite जैसे ऑनलाइन गेम्स पर पीएम मोदी ने कहा कि बच्चों को टेक्नोलोजी की सही दिशा में ले जाना चाहिये. तकनीक का उपयोग विस्तार के लिए होनी चाहिए. तकनीक को प्रोत्साहित करना चाहिए. ऑनलाइन गेम्स समस्या भी है, समाधान भी है.
7. अभिभावकों का सकारात्मक रवैया बच्चे की जिंदगी की बहुत बड़ी ताकत बन जाता है.
8. हर कोई बच्चों को अलग-अलग सलाह देता है और उससे बच्चे कन्फ्यूज हो जाते हैं. ऐसे में बच्चे को खुद यह पहचानना होगा कि उसे क्या करना अच्छा लगता है. उसका पैशन क्या है?
9. यह देखना होगा कि यह परीक्षा जिंदगी की परीक्षा है या क्लास की. अगर हम यह देख लेंगे तो हमारा फोकस बढ़ जाएगा. ऐसा कुछ नहीं है कि 10वीं में फेल हो गया तो कुछ नहीं होगा. परीक्षा के गलियारे तक ही जिंदगी नहीं होती.
10. जिंदगी का मतलब ठहराव नहीं है, जिंदगी का मतलब गति होता है.
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