मतदान देने आए लोगों की फाइल फोटो
नई दिल्ली:
किसी भी लोकतांत्रिक देश की ताकत उसके मतदाता होते हैं. ऐसा माना जाता है कि जिस देश का मतदाता अपने मताधिकार के इस्तेमाल को लेकर जितना सजग होता है, वह देश उतना ही विकसित होता है. भारत विश्व में सबसे ज्यादा युवा मतदाताओं वाला देश है. लिहाजा भारत के चुनाव आयोग ने भी देश के युवा मतदाताओं को जागरूक करने के लिए National Voter's Day का आयोजन करना शुरू किया. पहली बार इसका आयोजन 25 जनवरी 2011 को किया गया. इसके बाद से ही 25 जनवरी को National Voter's Day के रूप में मनाना शुरू किया गया. आज हम आपको नेशनल वोटर्स डे से जुड़ी 5 अहम बाते बताने जा रहे हैं.
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सिस्टेमेटिक वोटर्स एजुकेशन की शुरुआत
मतदान में युवाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए चुनाव आयोग ने सिस्टेमेटिक वोटर्स एजुकेशन की पहली बार शुरुआत की. वर्ष 2009 में इलेक्ट्रोरल पार्टिसिपेशन को बढ़ाने के लिए देश भर में विशेष कार्यक्रम की शुरुआत की.
युवाओं को शामिल करने के लिए शुरू किया अभियान
देश में हर साल बन रहे नए मतदाताओं को जागरू करने को लेकर भी आयोग ने विशेष अभियान की शुरुआत की. इस प्रोग्राम के तहत युवाओं के लिए समय-समय पर विशेष तरह के कार्यक्रम आयोजित किए गए. इस तरह के कार्यक्रम आज भी समय-समय पर आयोजित किए जाते हैं.
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विशेष राज्य को लेकर अलग रणनीति पर काम शुरू
आयोग ने उन राज्यों की सूची अलग से तैयार की जहां मतदाता सबसे कम मतदान करते हैं. इस सूची के आधार पर आयोग ने ऐसे लोगों को जागरूक करने के लिए इलाके के हिसाब से योजनाएं तैयार की. हरियाणा और राजस्थान जैसे राज्यों में रंगोली, नुक्कड़ नाटक और रैली की मदद से युवाओं और अन्य मतदाताओं को जागरूक करना शुरू. आयोग ने देश मे पहली बार इस तरह का आयोजन कराना शुरू किया था.
हर साल 1 जनवरी को विशेष आयोजन
चुनाव आयोग नए मतदाताओं की समस्याओं को निपटाने के लिए हर साल 1 जनवरी के दिन विशेष कैंप का आयोजन कराता है. खास बात यह है कि आयोग देश भर के 8.5 लाख मतदान केंद्रों पर इसका आयोजन कराता है. इस मौके पर नए मतदाताओं को मतदान करने और उनके मत के महत्व के बारे में बताया जाता है.
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नए मतदाताओं को दिया जाता है पहचान पत्र
आयोग हर वर्ष 25 जनवरी को नए मतदाताओं को उनका नया मतदाता पहचान पत्र सौंपती है. आयोग के अनुसार हर वर्ष लाखों की संख्या में नए मतदाता इस सूची में शामिल होते हैं.
VIDEO: नए मुख्य चुनाव आयुक्त से खास बात
इस विशेष दिन युवाओं को उनका पहला मतदाता पहचान पत्र देने के पीछे उन्हें एक अलग तरीके के अधिकार के बारे में सचेत करना भी होता है.
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सिस्टेमेटिक वोटर्स एजुकेशन की शुरुआत
मतदान में युवाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए चुनाव आयोग ने सिस्टेमेटिक वोटर्स एजुकेशन की पहली बार शुरुआत की. वर्ष 2009 में इलेक्ट्रोरल पार्टिसिपेशन को बढ़ाने के लिए देश भर में विशेष कार्यक्रम की शुरुआत की.
युवाओं को शामिल करने के लिए शुरू किया अभियान
देश में हर साल बन रहे नए मतदाताओं को जागरू करने को लेकर भी आयोग ने विशेष अभियान की शुरुआत की. इस प्रोग्राम के तहत युवाओं के लिए समय-समय पर विशेष तरह के कार्यक्रम आयोजित किए गए. इस तरह के कार्यक्रम आज भी समय-समय पर आयोजित किए जाते हैं.
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विशेष राज्य को लेकर अलग रणनीति पर काम शुरू
आयोग ने उन राज्यों की सूची अलग से तैयार की जहां मतदाता सबसे कम मतदान करते हैं. इस सूची के आधार पर आयोग ने ऐसे लोगों को जागरूक करने के लिए इलाके के हिसाब से योजनाएं तैयार की. हरियाणा और राजस्थान जैसे राज्यों में रंगोली, नुक्कड़ नाटक और रैली की मदद से युवाओं और अन्य मतदाताओं को जागरूक करना शुरू. आयोग ने देश मे पहली बार इस तरह का आयोजन कराना शुरू किया था.
हर साल 1 जनवरी को विशेष आयोजन
चुनाव आयोग नए मतदाताओं की समस्याओं को निपटाने के लिए हर साल 1 जनवरी के दिन विशेष कैंप का आयोजन कराता है. खास बात यह है कि आयोग देश भर के 8.5 लाख मतदान केंद्रों पर इसका आयोजन कराता है. इस मौके पर नए मतदाताओं को मतदान करने और उनके मत के महत्व के बारे में बताया जाता है.
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नए मतदाताओं को दिया जाता है पहचान पत्र
आयोग हर वर्ष 25 जनवरी को नए मतदाताओं को उनका नया मतदाता पहचान पत्र सौंपती है. आयोग के अनुसार हर वर्ष लाखों की संख्या में नए मतदाता इस सूची में शामिल होते हैं.
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इस विशेष दिन युवाओं को उनका पहला मतदाता पहचान पत्र देने के पीछे उन्हें एक अलग तरीके के अधिकार के बारे में सचेत करना भी होता है.
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