जेईई मेन 2017 का रिजल्ट घोषित कर दिया गया है. जिन छात्रों की रैंक अच्छी नहीं आई उन्हें अपने करियर का डर सता रहा होगा. करियर के इस अहम पड़ाव पर बेहद संयम के साथ काम लेना चाहिए. इस समय स्टूडेंट्स के माता-पिता की भूमिका बेहद अहम होती है. यहां हम बताते हैं कि अगर जेईई मेन में बच्चे का रिजल्ट खराब आता है तो ऐसी स्थिति में पेरेंट्स को क्या करना चाहिए...
1. तुलना न करें
परीक्षा में खराब परफॉर्म करने पर अपने बच्चे की तुलना आसपास के बच्चों से न करें. परीक्षा में अच्छा करने वाले बच्चों की मिसाल देकर अपने बच्चे को और हतोत्साहित और निराश करना गलत है. उसे नीचा न दिखाएं. इससे आपके बच्चे का आत्मविश्वास का स्तर और घटेगा. ऐसी स्थिति में उन्हें समझाएं कि एक असफलता उनका करियर का फैसला नहीं कर सकती. भविष्य की ओर देखें, बीते हुए की ओर नहीं.
2. नाकाम की वजह को समझें
अपने बच्चे को साथ बैठें और उसकी असफलता के कारण को तलाशें. उसके साथ बात करें. इससे आपको यह भी पता लगेगा कि उसकी दिलचस्पी किस फील्ड में है. कहीं इंजीनियरिंग की फील्ड उसके लिए गलत तो नहीं.
3. और भी विकल्प तलाशें
जेईई मेन में असफलता करियर का खात्मा नहीं. 12वीं के बाद साइंस स्टूडेंट्स के लिए करियर संवारने के बहुतेरे विकल्प हैं. अगर आपका बच्चा पूरे आत्मविश्वास के साथ जेईई मेन की एक साल और तैयारी करने के लिए कह रहा है तो इस पर गौर करना चाहिए. एक मौका और देने में कोई हर्ज नहीं. अभी से तैयारी की योजना बनाएं.
4. थोड़ी राहत दें
बोर्ड परीक्षा के फौरन बाद जेईई मेन देने से बच्चे काफी प्रेशर में रहते हैं. उन पर काफी दबाव रहता है. अब अगर बच्चा प्रवेश परीक्षा में अच्छा नहीं करता है तो इसका मतलब यह नहीं कि आप उसपर अनावश्यक दबाव बनाएं और उसे और मायूस कर दे. उसे आजादी दें. उसके साथ अच्छा व्यवहार करें. उसे डराएं नहीं. इंजीनियरिंग के अलावा साइंस में कई और ऑप्शंस भी हैं.
5. स्किल डेवलपमेंट क्लासेज
जब तक आपका बच्चा अपना करियर ऑप्शन नहीं चुन लेता, तब तक आप उसे स्किल डेवलपमेंट क्लासेज ज्वॉइन करने के लिए कह सकते हैं. इससे उसका आत्मविश्वास बढ़ेगा.
1. तुलना न करें
परीक्षा में खराब परफॉर्म करने पर अपने बच्चे की तुलना आसपास के बच्चों से न करें. परीक्षा में अच्छा करने वाले बच्चों की मिसाल देकर अपने बच्चे को और हतोत्साहित और निराश करना गलत है. उसे नीचा न दिखाएं. इससे आपके बच्चे का आत्मविश्वास का स्तर और घटेगा. ऐसी स्थिति में उन्हें समझाएं कि एक असफलता उनका करियर का फैसला नहीं कर सकती. भविष्य की ओर देखें, बीते हुए की ओर नहीं.
2. नाकाम की वजह को समझें
अपने बच्चे को साथ बैठें और उसकी असफलता के कारण को तलाशें. उसके साथ बात करें. इससे आपको यह भी पता लगेगा कि उसकी दिलचस्पी किस फील्ड में है. कहीं इंजीनियरिंग की फील्ड उसके लिए गलत तो नहीं.
3. और भी विकल्प तलाशें
जेईई मेन में असफलता करियर का खात्मा नहीं. 12वीं के बाद साइंस स्टूडेंट्स के लिए करियर संवारने के बहुतेरे विकल्प हैं. अगर आपका बच्चा पूरे आत्मविश्वास के साथ जेईई मेन की एक साल और तैयारी करने के लिए कह रहा है तो इस पर गौर करना चाहिए. एक मौका और देने में कोई हर्ज नहीं. अभी से तैयारी की योजना बनाएं.
4. थोड़ी राहत दें
बोर्ड परीक्षा के फौरन बाद जेईई मेन देने से बच्चे काफी प्रेशर में रहते हैं. उन पर काफी दबाव रहता है. अब अगर बच्चा प्रवेश परीक्षा में अच्छा नहीं करता है तो इसका मतलब यह नहीं कि आप उसपर अनावश्यक दबाव बनाएं और उसे और मायूस कर दे. उसे आजादी दें. उसके साथ अच्छा व्यवहार करें. उसे डराएं नहीं. इंजीनियरिंग के अलावा साइंस में कई और ऑप्शंस भी हैं.
5. स्किल डेवलपमेंट क्लासेज
जब तक आपका बच्चा अपना करियर ऑप्शन नहीं चुन लेता, तब तक आप उसे स्किल डेवलपमेंट क्लासेज ज्वॉइन करने के लिए कह सकते हैं. इससे उसका आत्मविश्वास बढ़ेगा.
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