
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के जंतर मंतर (Jantar Mantar) पर धरना प्रदर्शन पर लगी रोक हटा दी है. कोर्ट ने कहा कि दिल्ली में प्रदर्शनों पर पूरी तरह से रोक नहीं लगाई जा सकती. सुप्रीम कोर्ट ने प्रदर्शन पर से बैन हटाते हुए दिल्ली पुलिस को 2 हफ़्ते में नई गाइडलाइन्स बनाने को कहा है. जस्टिस एके सिकरी और जस्टिस अशोक भूषण की पीठ ने कहा कि कि शांतिपूर्वक धरना-प्रदर्शन मौलिक अधिकार है और क़ानून व्यवस्था के बीच संतुलन जरूरी है. आपको बता दें कि साल 2017 में एनजीटी के आदेश पर जंतर मंतर पर धरना प्रदर्शन पर रोक लगाई गई थी. एनजीटी ने ध्वनि प्रदूषण और ट्रैफिक जाम की समस्या का हवाला देते हुए जंतर मंतर पर धरना प्रदर्शन पर रोक लगाने का आदेश जारी किया था.
जंतर मंतर का इतिहास
जंतर मंतर राजधानी दिल्ली के दिल कनॉट प्लेस के बीचों-बीच स्थित है. जंतर मंतर का निर्माण महाराजा जयसिंह द्वितीय ने 1724 में करवाया था. जंतर-मंतर प्राचीन भारत की वैज्ञानिक उन्नति की मिसाल है. मोहम्मद शाह के शासन काल में हिंदू और मुस्लिम खगोलशास्त्रियों में ग्रहों की स्थिति को लेकर बहस छिड़ गई थी. जयसिंह ने इसे खत्म करने के लिए जंतर-मंतर का निर्माण करवाया था. उन्होंने दिल्ली के साथ जयपुर, उज्जैन, मथुरा और वाराणसी में भी इसका निर्माण कराया था.
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जयपुर के जंतर मंतर को यूनेस्को ने 2010 में विश्व धरोहर स्थल घोषित किया था. जंतर मंतर का निर्माण समय और अंतरिक्ष के अध्ययन के लिए करवाया गया था. यहां दुनिया की सबसे बड़ी पत्थर की सूर्यघड़ी है जिसे वृहत् सम्राट यंत्र कहते हैं. यह सूर्यघड़ी स्थानीय समय बताती है. ग्रहों की गति नापने के लिए यहां विभिन्न प्रकार के उपकरण लगे हुए हैं.
सम्राट यंत्र
यह सूर्य की सहायता से वक्त और ग्रहों की स्थिति की जानकारी देता है.
मिस्र यंत्र
मिस्र यंत्र साल के सबसे छोटे और सबसे बड़े दिन के बारे में बताता है.
राम यंत्र और जय प्रकाश यंत्र
राम यंत्र और जय प्रकाश यंत्र खगोलीय पिंडों की गति के बारे में बताते हैं.
प्रदर्शनकारियों का गढ़ है जंतर मंतर
जंतर-मंतर में आए दिन प्रदर्शन होते रहते हैं. ऐसा कोई दिन नहीं जाता जब यहां कोई धरना-प्रदर्शन न हो रहा हो. छोटे-मोटे प्रदर्शनों के अलावा जंतर-मंतर कई बड़े और ऐतिहासिक विरोध-प्रदर्शनों का गवाह रहा है. साल 2011 में समाजसेवी अन्ना हजारे ने जंतर मंतर पर जनलोक पाल बिल को लाने के लिए आंदोलन किया था. अन्ना के इस आंदोलन ने यूपीए सरकार को हिला कर रख दिया था. साल 2013 में समाज सेवी मेधा पाटकर की अगुवाई में यहां नर्मदा बचाओ आंदोलन के समर्थन में प्रदर्शन हुआ. वहीं, साल 2017 में तमिलनाडु के किसानों ने जंतर मंतर पर जोरदार प्रदर्शन किया था. किसानों ने केंद्र सरकार से 40 हजार करोड़ रुपये का सूखा राहत पैकेज देने की मांग की थी.
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