जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय
नई दिल्ली:
एटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने सरकार से कहा है कि दिल्ली का जामिया मिलिया इस्लामिया कोई अल्पसंख्यक संगठन नहीं है क्योंकि इसकी स्थापना संसद के एक अधिनियम से हुई है।
रोहतगी ने कुछ ही दिन पहले उच्चतम न्यायालय से कहा था कि कानून का उद्देश्य यह नहीं था कि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय कोई अल्पसंख्यक विश्वविद्यालय हो।
समझा जाता है कि एटॉर्नी जनरल ने मानव संसाधन विकास मंत्रालय को दी गई अपनी कानूनी राय में 1967 के उच्चतम न्यायालय के एक फैसले का भी जिक्र किया है जिसमें कहा गया है कि तकनीकी तौर पर अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय कोई अल्पसंख्यक संस्था नहीं है और यही उसूल जामिया मिलिया इस्लामिया पर भी लागू होता है।
मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने इस मुद्दे पर कानूनी राय के लिए कानून मंत्रालय से संपर्क किया था। इसके बाद कानून मंत्रालय ने रोहतगी से कानूनी राय मांगी थी।
राष्ट्रीय अल्पसंख्यक शैक्षिक संस्था आयोग (एनसीएमईआई) ने कुछ साल पहले जामिया मिलिया इस्लामिया को एक धार्मिक अल्पसंख्यक संस्था के रूप में घोषित किया था।
इस आदेश के आधार पर जामिया मिलिया इस्लामिया ने अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण खत्म कर दिया था और प्रत्येक पाठ्यक्रम में 50 प्रतिशत सीटें मुस्लिम उम्मीदवारों के लिए नियत कर दी थी।
कानून मंत्रालय के सूत्रों ने जामिया मिलिया इस्लामिया अधिनियम, 1988 के अनुच्छेद 7 का हवाला दिया जिसमें कहा गया है कि ‘‘विश्वविद्यालय किसी भी लिंग और किसी भी नस्ल, जाति, या वर्ग के लिए खुला रहेगा, और किसी शिक्षक या छात्र के रूप में दाखिले के लिए पात्र बनाने के लिए किसी व्यक्ति पर धार्मिक आस्था या पेशे की कसौटी लागू करना विश्वविद्यालय के लिए वैध नहीं होगा।’’ रोहतगी ने इसी हफ्ते उच्चतम न्यायालय से कहा था कि सरकार की राय में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय कोई अल्पसंख्यक विश्वविद्यालय नहीं है।
रोहतगी ने कुछ ही दिन पहले उच्चतम न्यायालय से कहा था कि कानून का उद्देश्य यह नहीं था कि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय कोई अल्पसंख्यक विश्वविद्यालय हो।
समझा जाता है कि एटॉर्नी जनरल ने मानव संसाधन विकास मंत्रालय को दी गई अपनी कानूनी राय में 1967 के उच्चतम न्यायालय के एक फैसले का भी जिक्र किया है जिसमें कहा गया है कि तकनीकी तौर पर अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय कोई अल्पसंख्यक संस्था नहीं है और यही उसूल जामिया मिलिया इस्लामिया पर भी लागू होता है।
मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने इस मुद्दे पर कानूनी राय के लिए कानून मंत्रालय से संपर्क किया था। इसके बाद कानून मंत्रालय ने रोहतगी से कानूनी राय मांगी थी।
राष्ट्रीय अल्पसंख्यक शैक्षिक संस्था आयोग (एनसीएमईआई) ने कुछ साल पहले जामिया मिलिया इस्लामिया को एक धार्मिक अल्पसंख्यक संस्था के रूप में घोषित किया था।
इस आदेश के आधार पर जामिया मिलिया इस्लामिया ने अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण खत्म कर दिया था और प्रत्येक पाठ्यक्रम में 50 प्रतिशत सीटें मुस्लिम उम्मीदवारों के लिए नियत कर दी थी।
कानून मंत्रालय के सूत्रों ने जामिया मिलिया इस्लामिया अधिनियम, 1988 के अनुच्छेद 7 का हवाला दिया जिसमें कहा गया है कि ‘‘विश्वविद्यालय किसी भी लिंग और किसी भी नस्ल, जाति, या वर्ग के लिए खुला रहेगा, और किसी शिक्षक या छात्र के रूप में दाखिले के लिए पात्र बनाने के लिए किसी व्यक्ति पर धार्मिक आस्था या पेशे की कसौटी लागू करना विश्वविद्यालय के लिए वैध नहीं होगा।’’ रोहतगी ने इसी हफ्ते उच्चतम न्यायालय से कहा था कि सरकार की राय में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय कोई अल्पसंख्यक विश्वविद्यालय नहीं है।
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