नई दिल्ली:
हिमाचल प्रदेश सरकार ने राज्य के प्राथमिक विद्यालयों में छात्रों के शिक्षण मानकों के उन्नयन के लिए संशोधित सतत एवं व्यापक मूल्यांकन प्रणाली (सीसीई) अपनायी है। इसके तहत छात्रों को उनके रचनात्मक एवं योगात्मक आकलन के आधार पर ग्रेडिंग दी जाएगी।
शिक्षा विभाग की बेवसाइट के अनुसार शिक्षण के अंतर को पाटने के लिए मूल्यांकन की प्रक्रिया ‘कठोर एवं व्यापक’ होगी। इसके तहत रचनात्मक एवं योगात्मक कौशल को प्राथमिकता मिलेगी और इसी के आधार पर ग्रेडिंग दी जाएगी।
इसमें बताया गया है कि छात्रों को 80 से 100 :उत्तम: के बीच अंक मिलने पर उन्हें ‘ए’ ग्रेड दिया जाएगा, जबकि 65 से 79 अंक के बीच ‘बी’ (बहुत अच्छा) और 50 से 64 के बीच अंक मिलने पर ‘सी’ ग्रेड (अच्छा) दिया जाएगा। 35 से 49 अंक के बीच अंक हासिल करने वाले छात्र को ‘डी’ ग्रेड (सामान्य) मिलेगा। जबकि 35 अंक से कम मिलने पर छात्र को ‘ई’ ग्रेड (सामान्य से कम) देने का प्रावधान है।
शिक्षा विभाग की बेवसाइट के अनुसार शिक्षण के अंतर को पाटने के लिए मूल्यांकन की प्रक्रिया ‘कठोर एवं व्यापक’ होगी। इसके तहत रचनात्मक एवं योगात्मक कौशल को प्राथमिकता मिलेगी और इसी के आधार पर ग्रेडिंग दी जाएगी।
इसमें बताया गया है कि छात्रों को 80 से 100 :उत्तम: के बीच अंक मिलने पर उन्हें ‘ए’ ग्रेड दिया जाएगा, जबकि 65 से 79 अंक के बीच ‘बी’ (बहुत अच्छा) और 50 से 64 के बीच अंक मिलने पर ‘सी’ ग्रेड (अच्छा) दिया जाएगा। 35 से 49 अंक के बीच अंक हासिल करने वाले छात्र को ‘डी’ ग्रेड (सामान्य) मिलेगा। जबकि 35 अंक से कम मिलने पर छात्र को ‘ई’ ग्रेड (सामान्य से कम) देने का प्रावधान है।
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