प्रतीकात्मक चित्र
नई दिल्ली:
देश में डिजिटल इंडिया की तर्ज पर आईआईटी सेक्टर तेजी से बढ़ता हुआ सेक्टर है. विकास के इस दौर में क्लाउड कम्प्यूटिंग संभावनाओं से भरा एक नया क्षेत्र बनकर उभरा है. इस कारण बाजार में क्लाउड कम्प्यूटिंग में दक्ष लोगों की मांग तेजी से बढ़ रही है. विशेषज्ञों की मानें तो आने वाले समय में यह मांग दोगुनी से भी ज्यादा हो जाएगी. अगर आप भी आईआईटी सेक्टर से जुड़े हैं और तकनीक में दिलचस्पी रखते हैं तो क्लाउड कम्प्यूटिंग आपके करियर को सातवें आसमान पर ले जाएगा. कहने को तो क्लाउड कम्प्यूटिंग पर भारत में 2005 से ही काम हो रहा है लेकिन बीते दो से तीन वर्षों में जिस तरह इस सेक्टर ने तेजी पकड़ी है, उसे देखकर कहा जा सकता है कि इसमें एक बेहतर भविष्य है. आइये जानते हैं कि क्या होता है क्लाउड कम्प्यूटिंग...
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क्या है क्लाउड कम्प्यूटिंग
क्लाउड कम्प्यूटिंग वास्तव में इंटरनेट आधारित प्रक्रिया और कम्प्यूटर एप्लीकेशन का इस्तेमाल है. गूगल एप्स क्लाउड कम्प्यूटिंग का ही एक उदाहरण है, जो बिजनेस एप्लीकेशन ऑनलाइन मुहैया कराता है. वेब ब्राउजर का इस्तेमाल कर इस तक पहुंचा जा सकता है. इंटरनेट सुविधा और इनमें मौजूद अलग-अलग फीचर्स क्लाउड कम्प्यूटिंग के जरिए ही काम करते हैं. वेब सर्च इंजन हो या कोई भी अन्य साइट सभी क्लाउड कम्प्यूटिंग के माध्यम से ही यूजर तक पहुंचती हैं. गूगल सर्च हो या याहू मेल या फिर फोटो शेयर करने वाली साइट, क्लाउड कम्प्यूटिंग के बिना कुछ भी संभव नहीं है.
क्लाउड कंप्यूटिंग में किन स्किस्ल की जरूरत है
क्लाउड कम्प्यूटिंग इन दिनों काफी लोकप्रिय हो रही है क्योंकि तकनीक के रूप में इसके कई फायदे हैं. इसका सबसे पहले फायदा यह है कि अब कंपनियों को पहले की तरह डेटा और बैकअप रखने के लिए बडे-बडे सर्वर नहीं रखने पड़ते हैं. क्योंकि अब क्लाउड कंपनियां ही स्टोरज की उस समस्या को खत्म कर देती हैं. इसका सीधा फायदा कंपनी के बिजनेस पर पड़ता है क्योंकि इससे कंपिनयों को अब अपने बैकअप और डाटा के बारे में न सोचकर सिर्फ अपने बिजनेस और सर्विस पर ध्यान देना होता है.
सुरक्षा के साथ भरोसा भी
क्लाउड कम्प्यूटिंग ने जहां डाटा स्टोर कर लोगों के डेटा की सुरक्षा की है. वहीं,अच्छी परफॉर्मेंस का भरोसा भी दिया है. अब कोई भी कहीं पर भी अपना डाटा एक्सेस कर सकता है. इसके साथ ही इसने डाटा खो जाने का डर भी खत्म कर दिया है.
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टेक्निकल स्किल्स होनी चाहिए मजबूत
किसी भी क्लाउड कम्प्यूटिंग में काम करने वाले प्रोफेशनल के पास एचटीएमएल, पास (प्लेटफॉर्म एस ए सर्विस), वर्चुअलाइजेशन टेक्नोलॉजी जैसी क्लाउड कम्प्यूटिंग का बेसिक और जावा, सी प्लस प्लस, नेट जैसी प्रोग्रामिंग लैंग्वेज की जानकारी होनी चाहिए. इसके बिना वह काम नहीं कर सकता है.
बिजनेस एंड फाइनेंशियल स्किल्स
क्लाउड कम्प्यूटिंग में जहां तकनीकी रूप से मजबूत होना पड़ता है. वहीं, बिजनेस एंड फाइनेंशियल नॉलेज भी रखना पड़ता है. इसमें बिजनेस केस, ऑनलाइन मार्केटिंग स्ट्रेटजी और फाइनेंशियल टेक्नोलॉजी की जानकारी होनी जरूरी है.
कहां मिलेगी नौकरी ये जानने के लिए आगे पढ़ें
आज पूरी दुनिया में ऐसी कंपनियां हैं, जो क्लाउड कम्प्यूटिंग प्रोफेशनल के अपने यहां लाखों की सैलरी में नौकरी आफर कर रहे हैं. इनमे से प्रमुख हैं माइक्रोसोफ्ट, आईबीएम, एमोजन, गूगल , हैविड पैकर्ड और क्लाउड सिग्मा. यह सभी कंपनियां जितनी मशहूर हैं, उसी हिसाब से हायरिंग करती हैं.
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योग्यता
क्लाउड कम्प्यूटिंग में काम पाने के लिए कोई खास डिग्री की जरूरत नहीं पड़ती, लेकिन इस फील्ड में इंजीनिरंग की डिग्री और कम्प्यूटर सांइस की डिग्री रखने वाले छात्रों को आसानी से नौकरी मिल जाती है. साथ ही आईटी और कम्प्यूटर से संबंधित बैकग्राउंड वाले छात्रों को भी प्राथमिकता दी जाती है.
प्रोगामिंग का हो ज्ञान
इस फील्ड में आपको कम्प्यूटर से संबंधित नॉलेज और प्रोगामिंग आनी चाहिए क्योंकि क्लाउड कम्प्यूटिंग में पूरा काम कम्प्यूटर बपर आधारित है .
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इसलिए जावा तकनीक और वेब सर्विस के बारे में भी अच्छी-खासी जानकारी होनी चाहिए.
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क्या है क्लाउड कम्प्यूटिंग
क्लाउड कम्प्यूटिंग वास्तव में इंटरनेट आधारित प्रक्रिया और कम्प्यूटर एप्लीकेशन का इस्तेमाल है. गूगल एप्स क्लाउड कम्प्यूटिंग का ही एक उदाहरण है, जो बिजनेस एप्लीकेशन ऑनलाइन मुहैया कराता है. वेब ब्राउजर का इस्तेमाल कर इस तक पहुंचा जा सकता है. इंटरनेट सुविधा और इनमें मौजूद अलग-अलग फीचर्स क्लाउड कम्प्यूटिंग के जरिए ही काम करते हैं. वेब सर्च इंजन हो या कोई भी अन्य साइट सभी क्लाउड कम्प्यूटिंग के माध्यम से ही यूजर तक पहुंचती हैं. गूगल सर्च हो या याहू मेल या फिर फोटो शेयर करने वाली साइट, क्लाउड कम्प्यूटिंग के बिना कुछ भी संभव नहीं है.
क्लाउड कंप्यूटिंग में किन स्किस्ल की जरूरत है
क्लाउड कम्प्यूटिंग इन दिनों काफी लोकप्रिय हो रही है क्योंकि तकनीक के रूप में इसके कई फायदे हैं. इसका सबसे पहले फायदा यह है कि अब कंपनियों को पहले की तरह डेटा और बैकअप रखने के लिए बडे-बडे सर्वर नहीं रखने पड़ते हैं. क्योंकि अब क्लाउड कंपनियां ही स्टोरज की उस समस्या को खत्म कर देती हैं. इसका सीधा फायदा कंपनी के बिजनेस पर पड़ता है क्योंकि इससे कंपिनयों को अब अपने बैकअप और डाटा के बारे में न सोचकर सिर्फ अपने बिजनेस और सर्विस पर ध्यान देना होता है.
सुरक्षा के साथ भरोसा भी
क्लाउड कम्प्यूटिंग ने जहां डाटा स्टोर कर लोगों के डेटा की सुरक्षा की है. वहीं,अच्छी परफॉर्मेंस का भरोसा भी दिया है. अब कोई भी कहीं पर भी अपना डाटा एक्सेस कर सकता है. इसके साथ ही इसने डाटा खो जाने का डर भी खत्म कर दिया है.
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टेक्निकल स्किल्स होनी चाहिए मजबूत
किसी भी क्लाउड कम्प्यूटिंग में काम करने वाले प्रोफेशनल के पास एचटीएमएल, पास (प्लेटफॉर्म एस ए सर्विस), वर्चुअलाइजेशन टेक्नोलॉजी जैसी क्लाउड कम्प्यूटिंग का बेसिक और जावा, सी प्लस प्लस, नेट जैसी प्रोग्रामिंग लैंग्वेज की जानकारी होनी चाहिए. इसके बिना वह काम नहीं कर सकता है.
बिजनेस एंड फाइनेंशियल स्किल्स
क्लाउड कम्प्यूटिंग में जहां तकनीकी रूप से मजबूत होना पड़ता है. वहीं, बिजनेस एंड फाइनेंशियल नॉलेज भी रखना पड़ता है. इसमें बिजनेस केस, ऑनलाइन मार्केटिंग स्ट्रेटजी और फाइनेंशियल टेक्नोलॉजी की जानकारी होनी जरूरी है.
कहां मिलेगी नौकरी ये जानने के लिए आगे पढ़ें
आज पूरी दुनिया में ऐसी कंपनियां हैं, जो क्लाउड कम्प्यूटिंग प्रोफेशनल के अपने यहां लाखों की सैलरी में नौकरी आफर कर रहे हैं. इनमे से प्रमुख हैं माइक्रोसोफ्ट, आईबीएम, एमोजन, गूगल , हैविड पैकर्ड और क्लाउड सिग्मा. यह सभी कंपनियां जितनी मशहूर हैं, उसी हिसाब से हायरिंग करती हैं.
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योग्यता
क्लाउड कम्प्यूटिंग में काम पाने के लिए कोई खास डिग्री की जरूरत नहीं पड़ती, लेकिन इस फील्ड में इंजीनिरंग की डिग्री और कम्प्यूटर सांइस की डिग्री रखने वाले छात्रों को आसानी से नौकरी मिल जाती है. साथ ही आईटी और कम्प्यूटर से संबंधित बैकग्राउंड वाले छात्रों को भी प्राथमिकता दी जाती है.
प्रोगामिंग का हो ज्ञान
इस फील्ड में आपको कम्प्यूटर से संबंधित नॉलेज और प्रोगामिंग आनी चाहिए क्योंकि क्लाउड कम्प्यूटिंग में पूरा काम कम्प्यूटर बपर आधारित है .
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इसलिए जावा तकनीक और वेब सर्विस के बारे में भी अच्छी-खासी जानकारी होनी चाहिए.
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