Children's Day India: आधुनिक भारत के निर्माता कहे जाने वाले जवाहरलाल नेहरू (Jawaharlal Nehru) ने देश के लिए जो किया उसे कभी भुलाया नहीं जा सकता है. पंडित नेहरू वैश्विक राजनीति के महानायकों में से एक हैं. नेहरू की विदेश नीति आज भी कायम हैं. पंडित नेहरू (Jawaharlal Nehru) ने शांति बनाए रखने के लिए अनेक प्रयास किए थे. बापू के अंहिसा और शांति के मार्ग पर चलने वाले पंडित नेहरू को महात्मा गांधी से भी ज्यादा बार शांति के नोबेल पुरस्कार (Nobel Prize) के लिए नॉमिनेट किया गया था. महात्मा गांधी को 5 बार तो वहीं नेहरू को 13 बार नॉमिनेट किया गया था. लेकिन हैरानी की बात तो यह है कि उन्हें एक बार भी नोबेल शांति पुरस्कार नहीं मिला. nobelprize.org वेबसाइट पर दिए गए नॉमिनेशन डाटाबेस के मुताबिक नेहरू को 1950 में 2 बार, 1951 और 1953 में तीन बार, 1954 में 2 बार, 1955 में एक बार, 1960 और 1961 में एक-एक बार शांति के नोबेल पुरस्कार के लिए नॉमिनेट किया गया था.
1950 में दो बार हुए नॉमिनेट
1950 में नोबेल समिति द्वारा दो नॉमिनेशन पर विचार किया गया था. 1950 में पहली बार पंडित नेहरू को दिल्ली विश्वविद्यालय के लॉ के प्रोफेसर एल.आर. शिवासुब्रमण्यम और बॉम्बे विश्वविद्यालय के पॉलिटिकल साइंस के प्रोफेसर एम वेंकटरंगैया ने नॉमिनेट किया था. नेहरू ने भारत में संसदीय सरकार की स्थापना की, और वे स्वतंत्रता आंदोलन के प्रमुख नेताओं में से एक थे. उन्हें अपनी तटस्थ विदेश नीति और गांधी के समान सिद्धांतों को बनाए रखने के लिए नामित किया गया था.
1951 में तीन बार
1951 में जवाहरलाल नेहरू को तीन बार नॉमिनेट किया गया. ये नॉमिनेशन 1946 की नोबेल शांति पुरस्कार विजेता एमिली ग्रीन बाल्च, अमेरिकी मित्र सेवा समिति के लुईस एम हॉकिंस, और "मद्रास विश्वविद्यालय में प्रोफेसरों" की ओर से श्रीनवला सरमा द्वारा भेजे गए थे. पंडित नेहरू को नॉमिनेट करने के लिए तीनों ने 1950 जैसा ही कारण दिया.
1953 में भी तीन बार
1953 में पंडित नेहरू के पक्ष में तीन और नॉमिनेशन दो साल बाद स्वीडन भेजे गए. ये तीनों ही नॉमिनेशन ब्रसेल्स से भेजे गए थे. पंडित नेहरू को "बेल्जियम नेशनल असेंबली के कई सदस्य", "बेल्जियम सीनेट के कई सदस्य" और "ब्रुक्सले विश्वविद्यालय के कई प्रोफेसरों" ने नॉमिनेट किया. इस बार भी नॉमिनेट करने का वही कारण दिया गया जो साल 1950 और 1951 में दिया गया.
जवाहरलाल नेहरू के वो 5 फैसले जिन्होंने बदल दी भारत की तस्वीर
1954 में दो बार
1954 में नेहरू के लिए दो नॉमिनेशन आए. उस साल ब्रिटिश प्रधानमंत्री क्लीमेंट एटली ने पंडित नेहरू को दो बार नॉमिनेट किया. नॉमिनेशन की एक वजह थी 1947 में ग्रेट ब्रिटेन और भारत के बीच शांतिपूर्ण समझौते के लिए नेहरू द्वारा किए गए काम. दूसरी वजह वही थी कि नेहरू ने संसदीय सरकार की स्थापना की, और वे स्वतंत्रता आंदोलन के प्रमुख नेताओं में से एक थे.
1955, 1960 और 1961 में एक-एक बार हुए नॉमिनेट
स्विट्जरलैंड में नेउचटेल विश्वविद्यालय (Neuchatel University) के एक प्रोफेसर एडमंड प्रिवैट ने 1955 में पंडित नेहरू को नॉमिनेट किया था. 1960 और 1961 में भी पंडित नेहरू को नॉमिनेट किया गया. 1960 में जवाहरलाल नेहरू को चीन के साथ सीमा संघर्ष के दौरान उनके उदारवादी रवैये के लिए नामांकित किया गया था. ये नॉमिनेशन जी नैटविग-पेडर्सन द्वारा भेजा गया था. वहीं, 1961 में डेनमार्क के सांसद एल्स ज़ुथेन (Else Zeuthen) ने उन्हें नॉमिनेट किया था.
कुल मिलाकर पंडित जवाहरलाल नेहरू को 13 बार नोबेल परस्कार के लिए नॉमिनेट किया गया था. इसके संबंध में और अधिक जानकारी नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक कर हासिल की जा सकती है.
Jawaharlal Nehru Nomination Database
''अज्ञानता हमेशा बदलाव से डरती है'', जानिए जवाहरलाल नेहरू के 10 विचार
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं