CBSE Board Exams 2020: छात्रों के अभिभावकों ने सुप्रीम कोर्ट से मांग की है कि सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकंडरी एजुकेशन (CBSE) के 12वीं क्लास के बचे हुए पेपर न कराए जाएं, क्योंकि देश में कोरोनावायरस (Coronavirus) तेजी से फैल रहा है, ऐसे में एग्जाम देने से बच्चों के लिए खतरा पैदा हो सकता है. पैरेंट्स की तरफ से दायर याचिका में मांग की गई है कि 12वीं के बचे हुए बोर्ड एग्जाम कराने का जो फैसला सीबीएसई ने लिया है उसे रद्द किया जाए.
दरअसल, कोरोनावायरस के चलते मार्च में लॉकडाउन लागू हो गया था और पूरे देश के स्कूल-कॉलेज भी बंद कर दिए गए थे. जिस वक्त लॉकडाउन लागू किया गया तब बोर्ड के कुछ पेपर बच गए थे. सीबीएसई ने 12वीं बोर्ड (CBSE Board Exams) के बचे हुए सभी पेपर 1 जुलाई से 15 जुलाई के बीच कराने का फैसला किया है. सीबीएसई के इसी फैसले के खिलाफ 12वीं बोर्ड के कुछ बच्चों के माता-पिता ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई है.
याचिका में कहा गया है कि देश में कोरोनावायरस तेजी से बढ़ रहा है. ऐसे में छात्रों की सुरक्षा खतरे में है. याचिका में मांग की गई कि 12वीं क्लास के लिए अब तक हुए पेपर और बचे पेपर में आंतरिक आकलन के औसत के आधार पर रिजल्ट जारी कर दिया जाए.
याचिका में लाखों बच्चों की सुरक्षा का सवाल उठाते हुये कहा गया है कि परीक्षा में शामिल होने की स्थिति में ये छात्र कोविड-19 संक्रमण की चपेट में आ सकते हैं. कोर्ट से अपील की गई है कि शेष विषयों की परीक्षा आयोजित करने के संबंधित सीबीएसई की 18 मई को जारी की गई अधिसूचना रद्द की जाये और इसी के आधार पर 12वीं के नतीजे घोषित करने का निर्देश बोर्ड को दिया जाएं.
इतना ही नहीं याचिका का निबटारा होने तक बोर्ड की अधिसूचना पर रोक लगाने का भी अनुरोध किया गया है. याचिका के अनुसार कोविड-19 की स्थिति की गंभीरता को देखते हुये ही बोर्ड ने विदेशों में स्थित करीब 250 स्कूलों में 10वीं और 12वीं की परीक्षा रद्द कर दी थी और प्रैक्टिकल परीक्षाओं के अंकों या आंतरिक आकलन के आधार पर छात्रों को अंक देने का निर्णय लिया था.
याचिका में कहा गया है कि इस साल अप्रैल में बोर्ड ने नौवीं और 11वीं कक्षा के छात्रों को उनके स्कूल के आकलन के आधार पर अगली कक्षा में प्रमोट करने का निर्देश दिया था. याचिका में कहा गया है कि 25 मई को मानव संसाधन एवं विकास मंत्रालय ने करीब 15,000 परीक्षा केन्द्रों में 10वीं और 12वीं कक्षा के लिये परीक्षायें आयोजित करने की घोषणा की थी जबकि पहले 3000 केन्द्रों पर ही परीक्षायें करायी जाती थीं.
याचिका में तर्क दिया गया है कि आईआईटी जैसे अनेक प्रमुख शैक्षणिक संस्थाओं ने कोरोनावायरस महामारी के मद्देनजर अपने यहां परीक्षायें रद्द कर दी हैं. याचिका में परीक्षा केन्द्रों की स्थिति का मुद्दा उठाते हुये कहा गया है कि ये केन्द्र भी संक्रमण ग्रस्त क्षेत्र में आ सकते हैं.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं