सर्वोच्च न्यायालय ने बुधवार को कहा कि पूर्व कॉरपोरेट लॉबिस्ट नीरा राडिया के फोन टेप की कई बातें परेशान कर देने वाली हैं, और सीबीआई ने कहा है कि उनमें से कुछ की जांच जरूरी है।
सर्वोच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति जीएस सिंघवी और न्यायमूर्ति वी गोपाल गौड़ा की पीठ ने कहा, "सीबीआई ने कई निष्कर्ष निकाले हैं और इस प्रतिलिपि में संभावित परिणाम कई चीजों को उजागर करते हैं। इसमें कई चीजें परेशान कर देने वाली हैं।"
जांच एजेंसी ने कहा कि इसमें एक प्रारंभिक जांच (पीई) शुरू किए जाने और प्रतिलिपि से संबंधित कुछ मुद्दों पर अन्य एजेंसियों के साथ मिल कर जांच करने की जरूरत है।
5800 टेलीफोन वार्ताओं वाले राडिया के टेपों की जांच पर आधारित अपनी रिपोर्ट में एजेंसी ने यह बातें कही है, जिसे सर्वोच्च न्यायालय ने स्वीकार कर लिया है।
सीबीआई ने 15 जुलाई को सर्वोच्च न्यायालय के रजिस्ट्री को राडिया के टेप की जांच से संबंधित अपनी रिपोर्ट सौंपी थी।
राडिया के फोन को आयकर विभाग ने तब निगरानी के दायरे में ले लिया था, जब वित्त मंत्रालय को एक अनाम पत्र मिला था, जिसमें आरोप लगाया था कि महज कुछ ही वर्षों में इस महिला ने 300 करोड़ रुपये का व्यापारिक साम्राज्य खड़ा कर लिया है। शिकायत में राडिया के विदेशी संपर्क होने के भी आरोप लगाए गए थे। इसके बाद उसके फोन पर पहरा लगाया गया।
आयकर विभाग ने 2008-09 के बीच तीन बार 60-60 दिनों के लिए फोन को निगरानी पर रखा।
टेप को सार्वजनिक किए जाने की मांग को लेकर एक गैर-सरकारी संगठन द्वारा दायर याचिका पर अदालत सुनवाई कर रही है। टेप में कुछ गैर-कानूनी या आपराधिक तथ्य शामिल हैं। मामले की सुनवाई गुरुवार को भी जारी रहेगी।