टाटा संस ने मंगलवार को अदालतों और अन्य फोरम में कई कैविएट दाखिल कीं ताकि टाटा संस के चेयरमैन पद से हटाए जाने के फैसले के खिलाफ साइरस मिस्त्री या शापूरजी पैलोनजी ग्रुप के कोर्ट के शरण लेने की स्थिति में एकतरफा आदेश से बचा जा सके.
टाटा की ओर से मुंबई हाईकोर्ट, दिल्ली हाईकोर्ट और नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल में कैविएट फाइल की गई है. उधर, शापूरजी पैलोनजी ग्रुप ने कहा है कि 'इस वक्त' मीडिया की इन ख़बरों में कोई आधार नहीं है कि टाटा सन्स के चेयरमैन के पद से अचानक हटा दिए जाने की वजह से साइरस मिस्त्री उन्हें अदालत में ले जाने पर विचार कर रहे हैं.
साइरस मिस्त्री के परिवार के स्वामित्व वाले शापूरजी पैलोनजी ग्रुप के प्रवक्ता ने कहा, "न शापूरजी पैलोनजी ग्रुप ने कोई बयान दिया है, न साइरस मिस्त्री ने... अभी परिस्थितियों का अध्ययन किया जा रहा है, सो, इस समय मुकदमा किए जाने के बारे में मीडिया में आ रही ख़बरें आधारहीन हैं... जब भी सार्वजनिक रूप से बयान जारी करना ज़रूरी होगा, जारी कर दिया जाएगा..."
सूत्रों ने NDTV को बताया था कि टाटा संस की सोमवार की बैठक में साइरस मिस्त्री उन्हें हटाए जाने को गैरकानूनी करार दिया था. उन्होंने तर्क दिया था कि टाटा ग्रुप की नियमावली के अनुसार, उन्हें अपना पक्ष रखने के लिए 15 दिन का नोटिस दिया जाना चाहिए. जानकारी के अनुसार, जब बोर्ड ने साइरस से कहा कि उन्हें हटाए जाने के फैसले के पक्ष में बोर्ड के पास कानूनी राय है तो उन्होंने कहा कि वे इस फैसले को चुनौती देंगे.
नौ सदस्यों के बोर्ड पैनल में से छह ने साइरस को हटाने के पक्ष में राय दी थी जबकि दो अनुपस्थित रहे थे. नौवें सदस्य ने प्रक्रिया का हिस्सा बनने से इनकार कर दिया था. साइरस मिस्त्री को हटाए जाने से बाज़ारों तथा कॉरपोरेट जगत को झटका लगा है, और मंगलवार को टाटा के अधिकतर शेयरों में गिरावट दर्ज की गई. शापूरजी पैलोनजी ग्रुप कंस्ट्रक्शन के कारोबार से जुड़ा है और टाटा सन्स की लगभग 18 फीसदी हिस्सेदारी पर इसका मालिकाना हक है और साइरस मिस्त्री टाटा सन्स के निदेशक मंडल (बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स) के सदस्य बने रहेंगे. साइरस को हटाए जाने के बाद 78 वर्षीय रतन टाटा को चार माह के लिए अंतरिम चेयरमैन बनाया गया है. टाटा ग्रुप की ओर से नए चेयरमैन की तलाश की जा रही है.