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उच्चतम न्यायालय के आदेश पर अमल नहीं करने के लिए सहारा की हुई खिंचाई

उच्चतम न्यायालय ने निवेशकों के 24 हजार करोड़ रुपये नहीं लौटाने पर बुधवार को सहारा समूह को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि यदि उसके आदेश पर अमल नहीं किया गया तो सहारा समूह के मुखिया सुब्रत राय और दो कंपनियों के निदेशकों को न्यायालय में हाजिर होना पड़ेगा।
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NDTV Profit हिंदी08:13 PM IST, 17 Jul 2013NDTV Profit हिंदी
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उच्चतम न्यायालय ने निवेशकों के 24 हजार करोड़ रुपये नहीं लौटाने पर बुधवार को सहारा समूह को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि यदि उसके आदेश पर अमल नहीं किया गया तो सहारा समूह के मुखिया सुब्रत राय और दो कंपनियों के निदेशकों को न्यायालय में हाजिर होना पड़ेगा।

न्यायमूर्ति केएस राधाकृष्णन और न्यायमूर्ति जेएस खेहड़ की खंडपीठ ने इसके साथ ही शीर्ष अदालत के आदेशानुसार सहारा के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई करने से सेबी को रोकने के लिए प्रतिभूति अपीली न्यायाधिकरण को भी आड़े हाथ लिया।

न्यायाधीशों ने कहा कि सहारा समूह को 31 अगस्त तक निवेशकों को उनकी रकम लौटानी चाहिए और ऐसा नहीं होने पर व्यक्तिगत रूप से पेशी के लिए तैयार रहना चाहिए, लेकिन न्यायालय ने इस बारे में कोई आदेश पारित नहीं किया क्योंकि राय के वकील ने उनका पक्ष जाने बगैर ऐसा आदेश नहीं देने का अनुरोध किया।

सहारा समूह द्वारा सेबी के पास 24 हजार करोड़ जमा नहीं कराने पर नाराजगी व्यक्त करते हुए न्यायाधीशों ने कहा, ‘हमारे आदेश पर अमल कीजिए अन्यथा हम आदेश पारित करेंगे। रकम का भुगतान कीजिए अन्यथा न्यायालय में व्यक्तिगत पेशी के लिए तैयार रहिए।’ सेबी को यह रकम तीन करोड़ निवेशकों में वितरित करनी है।

न्यायालय ने दूसरी अदालतों और सैट सहित अन्य न्यायाधिकरणों को इस मामले में कोई भी आदेश पारित करने से रोक दिया है।

न्यायाधीशों ने कहा, ‘कोई उच्च न्यायालय या सैट 31 अगस्त 2012 के हमारे फैसले के संबंध में कोई आदेश नहीं देंगे।’ न्यायालय ने कहा कि शीर्ष अदालत के फैसले पर सैट को कोई आदेश देने का हक ही नहीं था।

न्यायाधीशों ने कहा, ‘हम सैट के आदेश से नाराज हैं। शीर्ष अदालत के निर्णय में सैट द्वारा हस्तक्षेप करने का क्या औचित्य है।’’

सेबी ने न्यायालय को सूचित किया कि उसने सहारा समूह से मिली सूचना के आधार पर 21 हजार निवेशकों से संपर्क किया था, लेकिन इसमें से सिर्फ एक हजार ने ही जवाब दिया। सेबी के अनुसार उसने जवाब देने वाले एक हजार निवेशकों में से चार सौ की छानबीन की लेकिन इसमे से सिर्फ 12 ही सहारा इंडिया रियल इस्टेट कॉर्पोरेशन और सहारा इंडिया हाउसिंग इंवेस्टमेन्ट कॉर्पोरेशन में निवेश करने वाले सही मिले।

निवेशकों को धन लौटाने के बारे में शीर्ष अदालत के 31 अगस्त, 2012 के फैसले का पालन नहीं करने के कारण इन दोनों कंपनियों के साथ ही राय भी अवमानना की कार्यवाही का सामना कर रहे हैं।

शीर्ष अदालत ने न्यायालय के आदेशों का उल्लंघन करने के मामले में 6 फरवरी को सेबी को इन दोनों कंपनियों के खातों को जब्त करने और उनकी संपत्ति कुर्क करने की अनुमति दे दी थी।

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