सोने की स्मगलिंग के चलते सरकार और बाजार दोनों को मुसीबत का सामना करना पड़ रहा है. सोने का आयात करने वाले बैंक और बड़े जूलर्स को तस्करी के चलते नुकसान हो रहा है. सोने का ग्रे मार्केट भी बहुत तेजी से बढ़ने के चलते बढ़ रहा है. ग्रे मार्केट में ग्राहकों को सोना सस्ते दाम में बेचा जा रहा है। चीन के बाद भारत सबसे बड़ा सोने का खरीददार है. अब जबकि अवैध सोने ने दिक्कतें बढ़ा दी हैं तो सरकार को करीब 1 बिलियन डॉलर का नुकसान हो सकता है.
तस्करी से आने वाला सोना अवैध रूप से चल रहे वाले 'ग्रे मार्केट' में पहुंचता है जहां से वे खरीदार को इसे सस्ते दामों पर बेचते हैं. ये सस्ते दामों पर इसलिए बेच पाते हैं क्योंकि उन्होंने इस पर आयात शुल्क नहीं चुकाया होता. इस साल कुल मांग का एक तिहाई सोना तस्करी से भारत आने के कयास लगाए जा रहे हैं.
एमएमटीसी-पीएएमपी इंडिया के एमडी राजेश खोसला ने बताया कि पिछले वित्त वर्ष में 120 टन सोना रिफाइन किया गया था. इस वर्ष लोकल स्क्रैप अपूर्ति की मदद से 20 टन सोना रिफाइन किया जा सकता है. अगर स्मगलर 4 से 5 फीसदी सस्ते दामों पर सोना बेचते हैं तो हमें को अपने ऑपरेशन्स बंद करने पड़ेंगे. क्योंकि गोल्ड रिफाइनर के पास वैसे भी 1 फीसदी से कम का मार्जन होता है. यह कहना है एसोसिएशन ऑफ गोल्ड रिफाइनरीज ऐंड मिंट्स के सेक्रेट्री का.
ऑल इंडिया जेम्स एंड जूलरी ट्रेड फेडरेशन के डायरेक्टर बचराज बमालवा के मुताबिक, 2016 में भारत में तस्करी के जरिये लाया जाने वाला सोना, दुगना यानी कि करीब 300 टन, तक पहुंच सकता है. वैसे, वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल (WGC) ने यह आंकड़ा 160 टन रहने का अनुमान जताया है.