भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने सोमवार को ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया, जिससे करोड़ों ऋण धारकों को निराशा हुई, जो मासिक किस्त घटने की उम्मीद कर रहे थे। बैंक ने हालांकि नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) में 0.25 फीसदी कटौती कर दी।
सीआरआर में इस कटौती से अर्थव्यवस्था में 17,000 करोड़ रुपये की तरलता जारी होने का अनुमान जताया गया है। सीआरआर में 25 आधार अंक की कटौती कर इसे 4.50 फीसदी कर दिया गया। नई सीआरआर दर 22 सितम्बर 2012 से लागू होगी।
मौद्रिक नीति की मध्य तिमाही समीक्षा में रिजर्व बैंक ने नीतिगत दरों में कोई बदलाव नहीं किया। बैंक ने कहा कि महंगाई अभी तक बड़ी चुनौती बनी हुई है।
रिजर्व बैंक ने रेपो दर और रिवर्स रेपो दर को क्रमश: आठ फीसदी और सात फीसदी पर बरकरार रखा। रेपो दर वह दर होती है, जिस पर रिजर्व बैंक वाणिज्यिक बैंकों को धन उधार देता है। रिवर्स रेपो दर वह दर है, जिस पर वह वाणिज्यिक बैंकों से उधार लेता है। आरबीआई ने नीति समीक्षा में कहा कि मौद्रिक नीति का मुख्य ध्यान अभी भी महंगाई से लड़ने पर है।
आरबीआई गवर्नर डी. सुब्बाराव ने कहा, "महंगाई का रुझान बना हुआ है। इसलिए मौद्रिक समीक्षा का मुख्य ध्यान महंगाई कम करने और महंगाई के अनुमान को कम करने पर केंद्रित है।"
पिछले सप्ताह केंद्र सरकार द्वारा आर्थिक सुधार के लिए उठाए गए कुछ बड़े कदमों के कारण बाजार और आम लोगों को ब्याज दर घटाए जाने की उम्मीद थी। ब्याज दर नहीं घटने से ऋण धारकों की मासिक किश्तों पर कोई भी राहत नहीं मिलेगी।
केंद्रीय वित्त मंत्री पी. चिदम्बरम ने कहा कि सरकार एक से डेढ़ महीने में वित्तीय घाटा कम करने के लिए कुछ और कदम उठाएगी। चिदम्बरम ने आरबीआई की समीक्षा पर प्रतिक्रिया में कहा, "मुझे पूरा विश्वास है कि आज और 30 अक्टूबर के बीच चूंकि सरकार कई अतिरिक्त नीतिगत कदम उठाने वाली है और वित्तीय घाटा कम करने के उपाय करने वाली है, इसलिए 30 अक्टूबर को आरबीआई की प्रतिक्रिया विकास के लिए अधिक सहायक होगी।" आरबीआई 30 अक्टूबर 2012 को अगली मौद्रिक नीति समीक्षा की घोषणा करेगा।
योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने कहा, "यह सही दिशा में उठाया गया कदम है। मैं सीआरआर में कटौती का स्वागत करता हूं।"
देश के कारोबारियों ने सीआरआर कटौती का स्वागत किया और अक्टूबर के आखिर में होने वाली समीक्षा घोषणा में ब्याज दर में कटौती की उम्मीद जताई।
भारतीय उद्योग परिसंघ के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने कहा, "तरलता बढ़ने से स्थिति में मदद मिलेगी, जहां ऋण की कीमत चुनौतीपूर्ण हो चुकी थी।" बनर्जी ने यह भी कहा, "आरबीआई के मुताबिक मांग का दबाव घटा है, इसलिए मुख्य दरों में कटौती की उम्मीद थी।"
फेडरेशन ऑफ इंडियन चैम्बर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (फिक्की) के अध्यक्ष आरवी कनोरिया ने कहा, "आरबीआई से इस दिशा में और आगे बढ़ने की उम्मीद है और हमें उम्मीद है कि आरबीआई अगले महीने दरों में कटौती करेगा।"