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नेतृत्व की कमी के कारण आर्थिक समस्या : रतन टाटा

टाटा ने कहा कि देश को ऐसे नेताओं की जरूरत है जो आगे आकर देश का नेतृत्व करें और प्रधानमंत्री की टीम और राजनीतिक वर्ग को एक दिशा में काम करने की जरूरत है। और राष्ट्रहित से ऊपर के निजी एजेंडों पर काम न किया जाए।
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NDTV Profit हिंदी08:48 PM IST, 28 Aug 2013NDTV Profit हिंदी
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टाटा समूह के अवकाशप्राप्त चेयरमैन रतन टाटा ने कहा है कि देश में नेतृत्व की कमी के कारण आर्थिक समस्या गहरा रही है। उन्होंने कहा कि देश पर से दुनिया का भरोसा उठ गया है।

एक चैनल पर बुधवार को प्रसारित हुए एक विशेष बातचीत में टाटा ने कहा कि देश को ऐसे नेताओं की जरूरत है जो आगे आकर देश का नेतृत्व करें और प्रधानमंत्री की टीम और राजनीतिक वर्ग को एक दिशा में काम करने की जरूरत है। और राष्ट्रहित से ऊपर के निजी एजेंडों पर काम न किया जाए।

टाटा ने कहा, "कई ऐसे नेता हैं, जिनके सार्वजनिक जीवन का मैंने अपने पूरे जीवन में आदर किया है। लेकिन कुछ ऐसा हुआ है, जिसके कारण यह नेतृत्व क्षीण हो गया है। जिस नेतृत्व के बारे में हम बात करते रहे हैं, जो कि आगे आकर हमारा नेतृत्व करे, वह हमारे पास नहीं रह गया है।"

टाटा ने यहीं पर यह भी कहा कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के प्रति उनके मन में सम्मान लगातार ऊंचा बना रहेगा।

उन्होंने कहा, "वह जो करने में सक्षम हैं, उसे लेकर मेरी आकांक्षा बहुत ऊंची है। शायद टीम एक दिशा में नहीं काम कर रही है, यह अलग-अलग तरफ जा रही है। राज्य एक तरफ जा रहे हैं, गठबंधन सहयोगी अलग-अलग दिशाओं में खींच रहे हैं और सरकार में विभिन्न विभागों के प्रमुख अलग-अलग दिशाओं में खींच रहे हैं।"

टाटा ने कहा, "हम खुद को सरकार के साथ एकजुट नहीं कर रहे हैं। हम अपने को एक भारत के रूप में नहीं देख रहे हैं।"

टाटा ने कहा कि मनमोहन सिंह ने देश की प्रतिष्ठा बढ़ाई है, लेकिन हाल के समय में वह प्रतिष्ठा समाप्त हो गई। "हमने दुनिया का भरोसा खो दिया है। हम सरकार में इस बात को पहचानने में पीछे रह गए हैं।"

रतन टाटा ने यह भी कहा कि सरकार निजी क्षेत्र में निहित स्वार्थों के प्रभाव के आगे झुकी है और नीतियां बदली गई हैं, लटकाई गई हैं और उनके साथ छेड़छाड़ किया गया है।

टाटा ने कहा, "अभी तक किसी न किसी कारण से सरकार उन ताकतों के आगे झुकी है।" उन्होंने यह भी जोड़ा कि जिस तरह से नीतियां तैयार की गईं, यदि उन्हें उसी रूप में क्रियान्वित किया गया होता तो यह देश के लिए अच्छा होता।

टाटा ने गुजरात में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व की प्रशंसा की लेकिन राष्ट्रीय राजनीति में उनकी बड़ी भूमिका पर टिप्पणी करने से इंकार कर दिया। उन्होंने कहा, "मैं समझता हूं कि उन्होंने गुजरात में अपना नेतृत्व साबित किया है और उन्होंने गुजरात को एक प्रभावी स्थिति में लाया है। लेकिन मैं इस बारे में अनुमान लगाने की स्थिति में नहीं हूं कि वह देश में क्या करेंगे।"

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