अर्थव्यवस्था में जल्द सुधार की उम्मीदों को शुक्रवार को उस समय झटका लगा, जब जुलाई में औद्योगिक उत्पादन वृद्धि का आंकड़ा घटकर चार माह के निचले स्तर 0.5 प्रतिशत पर आ गया। हालांकि, खुदरा मुद्रास्फीति के मोर्चे पर थोड़ी राहत महसूस की गई। अगस्त में खुदरा मुद्रास्फीति मामूली घटकर 7.8 प्रतिशत रही।
औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) के ताजा आंकड़ों के मुताबिक विनिर्माण और उपभोक्ता सामानों के वर्ग में कमजोर प्रदर्शन के चलते गिरावट रही, जिससे जुलाई में आईआईपी वृद्धि 0.5 प्रतिशत रही। जून, 2014 में इसमें 3.9 प्रतिशत :संशोधित: वृद्धि दर्ज की गई, जबकि एक साल पहले जुलाई में यह 2.6 प्रतिशत बढ़ा था।
चालू वित्त वर्ष के पहले चार महीने (अप्रैल से जुलाई) के दौरान आईआईपी की औसत वृद्धि 3.3 प्रतिशत रही, जो एक साल पहले इसी अवधि में 0.1 प्रतिशत रही थी। उद्योग जगत ने सतर्क प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि लगता है कि उद्योग क्षेत्र अभी पूरी तरह से सुस्ती से उबरा नहीं है।
भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने कहा, औद्योगिक क्षेत्र के कमजोर प्रदर्शन को देखते हुए यह संकेत मिलता है कि औद्योगिक क्षेत्र में पूरी तरह सुधार अभी कुछ दूर है। हालांकि, जो बातें सामने आ रही हैं, उनसे लगता है कि नए ऑर्डर में कुछ तेजी आई है।
रिजर्व बैंक अपनी अगली द्वैमासिक मौद्रिक समीक्षा 30 सितंबर को जारी करेगा। रिजर्व बैंक ब्याज दर के मामले में लगातार आक्रमक मौद्रिक नीति बनाए हुए हैं। आईआईपी के ताजा आंकड़ों के अनुसार विनिर्माण के 22 उद्योग समूहों में से केवल 12 में ही वृद्धि दर्ज की गई।
उधर, खुदरा मुद्रास्फीति के आंकड़ों के अनुसार सब्जियों, अनाज और पेट्रोलियम पदार्थों के दाम घटने से खुदरा मुद्रास्फीति अगस्त माह में मामूली घटकर 7.8 प्रतिशत रह गई। जुलाई में यह 7.96 प्रतिशत थी। एक साल पहले अगस्त में यह 9.52 प्रतिशत दर्ज की गई थी। हालांकि, अगस्त में खाद्य मुद्रास्फीति जुलाई के 9.36 प्रतिशत से बढ़कर 9.42 प्रतिशत हो गई। सब्जियों में मूल्यवृद्धि की दर जुलाई में जहां 16.88 प्रतिशत थी, अगस्त में यह कुछ कम होकर 15.15 प्रतिशत रही।
केंद्रीय सांख्यिकी संगठन के आंकड़ों में जून माह का औद्योगिक उत्पादन सूचकांक पहले जारी अस्थायी अनुमान 3.4 प्रतिशत से सुधरकर 3.9 प्रतिशत हो गया। औद्योगिक उत्पादन सूचकांक में 75 प्रतिशत से अधिक हिस्सेदारी रखने वाले विनिर्माण क्षेत्र का सूचकांक जुलाई में 1 प्रतिशत घट गया। जबकि एक साल पहले इसी माह इसमें 3 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की गई थी। अप्रैल से जुलाई में विनिर्माण क्षेत्र में 2.3 प्रतिशत वृद्धि रही, जो एक साल पहले इसी अवधि में 0.1 प्रतिशत घट गया था।
फिक्की अध्यक्ष सिद्धार्थ बिड़ला ने कहा, हम यह मान रहे थे कि विनिर्माण क्षेत्र में सुस्ती अब दूर हो चुकी है, लेकिन जुलाई के आंकड़ों को देखकर लगता है कि विनिर्माण क्षेत्र अभी पूरी तरह सुस्ती से बाहर नहीं निकला है। यह चिंता बढ़ाने वाला है कि जुलाई में विनिर्माण क्षेत्र में गिरावट का दायरा टिकाऊ उपभोक्ता और पूंजीगत सामान तक बढ़ा है।