नीति आयोग के उपाध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया ने कहा कि भारत को अपने बाजार और खोलने चाहिए तथा व्यापार माहौल को बेहतर बनाना चाहिए. उन्होंने कहा कि वैश्विक कंपनियों को अगले दशक में चीन में कार्यबल में कमी तथा वेतन में वृद्धि से चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा, ऐसे में उनके लिए भारत एक 'स्वभाविक स्थान' हो सकता है.
कोलंबिया विश्वविद्यालय में विश्व व्यापार पर एक सम्मेलन में भाग लेते हुए पनगढ़िया ने कहा कि आबादी के लिहाज से चीन में श्रम आपूर्ति अब घटने जा रही है और वहां पहले से पगार ज्यादा है तथा इसमें और तेजी से वृद्धि होगी. इससे वहां काम कर रही बहुराष्ट्रीय कंपनियां अगले दशक में हटेंगी और बेहतर बाजारों पर उनकी नजर होगी.' मशहूर अर्थशास्त्री ने कहा कि इस प्रकार का परिदृश्य भारत के लिए एक 'अवसर' है.
भारत की आर्थिक नीतियों पर कोलंबिया स्कूल ऑफ इंटरनेशनल एंड पब्लिक अफेयर्स ने राज सेंटर के साथ मिलकर आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने कहा, 'ये कंपनियां चीन से बाहर निकलेंगी. भारत उनके लिये एक स्वभाविक स्थल हो सकता हैं, इसीलिये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मेरा अनुरोध होगा कि वे इस बड़े अवसर का लाभ उठाएं, निवेशकों के लिए बाजार को और खोले तथा व्यापार माहौल को और बेहतर बनाएं। इससे अंतत: भारत में अगले दो दशक से अधिक समय तक वृद्धि टिकाउ बनी रहेगी.'
उन्होंने कहा कि भारत में सुधार की गति 2004 के बाद धीमी पड़ी. इसके कारण भारत ने 10 साल समय जाया किया. हालांकि 1990 के दशक तथा 2000 की शुरुआत में जो सुधार हुए थे, उसके दम पर अच्छी वृद्धि दर हासिल करने में कामयाब रहा. पनगढ़िया ने कहा कि भारत सुधारों के रास्ते पर फिर से वापस आ गया है.
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