सरकार ने सुधार से जुड़े कदमों के क्रम में डीजल की कीमत को नियंत्रण मुक्त करते हुए इसकी कीमत में प्रति लीटर 51 पैसे तक बढ़ोतरी कर दी और इसी तरह की वृद्धि मासिक तौर पर आगे भी जारी रहेगी।
सरकार के इस फैसले से अब डीजल के दाम में आने वाले समय में बढ़ोतरी होती रहेगी। इससे महंगाई दर पर भी असर पड़ सकता है।
सरकार ने थोक में डीजल का इस्तेमाल करने वाले उपभोक्ताओं को अब बाजार मूल्य पर डीजल देने का फैसला किया है। इससे उनके लिए एक ही झटके में डीजल का दाम करीब 11 रुपये बढ़ जाएगा। अन्य उपभोक्ताओं के लिए डीजल के दाम हर महीने 40 से 50 पैसे लीटर बढ़ाए जाएंगे।
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में गुरुवार को हुई मंत्रिमंडल की राजनीतिक मामलों की समिति ने यह निर्णय किया। समिति के फैसले के अनुसार अब हर परिवार को एक साल में छह के बजाय नौ गैस सिलेंडर सस्ते दाम पर दिए जाएंगे। इससे अधिक जरूरत होने पर बाजार मूल्य पर सिलेंडर की आपूर्ति की जाएगी।
तेल कंपनियों ने दूसरी तरफ पेट्रोल के दाम में लागत कम होने के कारण 25 पैसे लीटर कटौती करने का फैसला किया है।
डीजल के दाम को आंशिक तौर पर नियंत्रणमुक्त करने के सरकार को फैसले से डीजल सब्सिडी बोझ में इस साल करीब 12,900 करोड़ रुपये की कमी आएगी। रेलवे और राज्य परिवहन निगम जैसे डीजल के थोक खरीदारों को अब बाजार मूल्य पर डीजल खरीदना होगा।
चालू वित्त वर्ष के दौरान डीजल, रसोई गैस और मिट्टी तेल की उनकी लागत से कम दाम पर बिक्री करने से तेल कंपनियों को 1,60,000 करोड़ रुपये का नुकसान होने का अनुमान है। इसमें 59 प्रतिशत नुकसान डीजल का होगा।
(इनपुट भाषा से भी)