भारत सरकार ने शिक्षा-प्रौद्योगिकी टाइटन बायजू के बही-खाता के निरीक्षण का आदेश दिया है. कंपनी पिछले महीने अपने ऑडिटर और तीन बोर्ड सदस्यों के इस्तीफे से परेशान है. मामले से परिचित लोगों से इस प्रकार की जानकारी मिली है. लोगों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय ने छह सप्ताह में रिपोर्ट मांगी है.
कंपनी के मामलों की स्थिति के आंतरिक मूल्यांकन के बाद और निरीक्षण के निष्कर्षों के आधार पर - सरकार तय करेगी कि मामले को गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय में ले जाने की आवश्यकता है या नहीं. यह निरीक्षण बायजू के लिए एक नया सिरदर्द होगा. इससे पहले ही कंपनी एक संकट के दौर पर गुजर रही है. कंपनी का मूल्य पिछले फंडिंग दौर में 22 बिलियन डॉलर था, और यह अपने ऋण समझौते की कुछ शर्तों का उल्लंघन करने के बाद अपने 1.2 बिलियन डॉलर के टर्म लोन के पुनर्गठन के लिए बातचीत फिर से शुरू कर रही है.
एक समय भारत के उभरते स्टार्टअप परिदृश्य की प्रतीक कंपनी ने अब हजारों नौकरियों में कटौती की है और वित्तीय कठिनाइयों से निपटने के लिए एक अरब डॉलर से अधिक जुटाने की कोशिश कर रही है. बायजू के प्रवक्ता ने टिप्पणी मांगने वाले ईमेल और टेक्स्ट संदेशों का जवाब नहीं दिया. कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय को भेजे गए ईमेल का भी तुरंत जवाब नहीं दिया गया है.
डेलॉइट हास्किन्स एंड सेल्स ने वित्तीय विवरण जमा करने में देरी का हवाला देते हुए पिछले महीने बायजू के ऑडिटर के पद से इस्तीफा दे दिया था. तीन प्रभावशाली समर्थकों - पीक XV, प्रोसस एनवी और चैन-जुकरबर्ग इनिशिएटिव - के प्रतिनिधियों ने एक ही सप्ताह में बायजू का बोर्ड छोड़ दिया, जो कंपनी के रैंकों के भीतर विश्वास में तेजी से गिरावट को रेखांकित करता है.