प्रीमियम मोटरसाइकिल की बिक्री में बंपर उछाल, इकोनॉमी बाइक्स की डिमांड में जबरदस्त गिरावट ,जानें वजह

Two Wheeler Sales 2025: जहां एक ओर शहरों में प्रीमियम बाइक्स का जलवा है, वहीं गांवों में इकॉनमी बाइक्स की बिक्री बुरी तरह से प्रभावित हुई है. वित्त वर्ष 2025 में इकॉनमी मोटरसाइकिल की हिस्सेदारी 62% से घटकर सिर्फ 46% रह गई है.

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India's Two-Wheeler Market Growth 2025: CRISIL की रिपोर्ट के मुताबिक, वित्त वर्ष 2024-25 में प्रीमियम बाइक्स की बाजार हिस्सेदारी बढ़कर 19% तक पहुंच गई है, जो साल 2018-19 में केवल 14% थी.
नई दिल्ली:

भारतीय टू-व्हीलर बाजार में अब ट्रेंड बदल रहा है. एक तरफ जहां कम कीमत वाली इकोनॉमी मोटरसाइकिलों की बिक्री में भारी गिरावट आई है, वहीं दूसरी ओर 150 सीसी से ज्यादा इंजन वाली प्रीमियम बाइक्स की डिमांड लगातार बढ़ रही है.

CRISIL की रिपोर्ट के मुताबिक, वित्त वर्ष 2024-25 में प्रीमियम बाइक्स की बाजार हिस्सेदारी बढ़कर 19% तक पहुंच गई है, जो साल 2018-19 में केवल 14% थी. इनकी बिक्री भी 19 लाख यूनिट से बढ़कर 23 लाख यूनिट हो चुकी है.

 बाजार गिरा लेकिन प्रीमियम बाइक्स में आई तेजी

दिलचस्प बात यह है कि यह ग्रोथ उस वक्त आई है जब पूरी मोटरसाइकिल इंडस्ट्री में गिरावट देखी गई है.2019 में जहां कुल मोटरसाइकिल बिक्री 1.36 करोड़ यूनिट थी,वह 2025 में घटकर 1.23 करोड़ यूनिट पर आ गई है. वहीं, कुल दोपहिया वाहनों की बिक्री भी 2.12 करोड़ यूनिट से घटकर 1.99 करोड़ यूनिट रह गई है.लेकिन इसी दौरान, प्रीमियम बाइक्स ने कोरोना से पहले की तुलना में 22% ज्यादा बिक्री दर्ज की है.

2030 तक और बढ़ेगा प्रीमियम बाइक्स का क्रेज

रिपोर्ट में बताया गया है कि 2030 तक प्रीमियम मोटरसाइकिलों की बाजार हिस्सेदारी बढ़कर 22% तक पहुंच सकती है.इस ग्रोथ के पीछे कई कारण हैं जैसे:लोगों की बढ़ती इनकम,युवाओं की प्रीमियम प्रोडक्ट्स में दिलचस्पी,ज्यादा मॉडल ऑप्शन,सोशल मीडिया और ग्लोबल ट्रेंड्स का असर आदि.

CRISIL इंटेलिजेंस के डायरेक्टर पुशन शर्मा ने कहा कि महामारी के दौरान भी अच्छी इनकम वाले कस्टमर्स ने इन बाइक्स को खरीदना जारी रखा. साथ ही अब बाजार में 35 से ज्यादा मॉडल्स उपलब्ध हैं, जो पहले सिर्फ 23 थे.

ग्रामीण भारत में घटती डिमांड ने इकॉनमी बाइक्स को किया पीछे

जहां एक ओर शहरों में प्रीमियम बाइक्स का जलवा है, वहीं गांवों में इकॉनमी बाइक्स की बिक्री बुरी तरह से प्रभावित हुई है. वित्त वर्ष 2025 में इकॉनमी मोटरसाइकिल की हिस्सेदारी 62% से घटकर सिर्फ 46% रह गई है. इनकी बिक्री 84 लाख यूनिट से घटकर 56 लाख यूनिट रह गई है

CRISIL के मोहित अदनानी का कहना है कि ग्रामीण इलाकों में मांग कमजोर हुई है, और इकोनॉमी बाइक्स की कीमतें भी पिछले कुछ सालों में 65-70% तक बढ़ चुकी हैं.बीएस-IV से बीएस-VI नॉर्म्स, सेफ्टी फीचर्स और कच्चे माल की महंगाई ने बाइक कंपनियों की लागत बढ़ा दी है. लेकिन गांवों में आय नहीं बढ़ने से बिक्री पर बुरा असर पड़ा है.

क्या कहता है ट्रेंड?

भारत में दोपहिया वाहन बाजार अब दो हिस्सों में बंट गया है .शहरों में जहां युवा वर्ग और हाई इनकम ग्रुप प्रीमियम बाइक्स की ओर बढ़ रहे हैं, वहीं गांवों में कीमत और आय का अंतर इकॉनमी बाइक्स की डिमांड को कमजोर कर रहा है.आने वाले समय में भी यही ट्रेंड जारी रहने की उम्मीद है.

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