भारतीय बाजार की मजबूती से परेशान है Hindenburg, नई रिपोर्ट मार्केट की तेजी को रोकने की कोशिश: एक्सपर्ट्स

हिंडनबर्ग की नई रिपोर्ट को अदाणी ग्रुप ने दुर्भावनापूर्ण और ध्यान भटकाने की कोशिश बताया है.

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नई दिल्ली:

अमेरिकी शॉर्ट सेलर Hindenburg की एक और नई सनसनीखेज रिपोर्ट और इस बार निशाने पर है मार्केट रेगुलेटर SEBI की चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच. अपनी साख गंवा चुके हिंडनबर्ग रिसर्च के इस नए शगूफे को एक्सपर्ट्स एक नई पैंतरेबाजी मान रहे हैं, ताकि भारतीय बाजार में जारी तेजी के सेंटीमेंट्स को प्रभावित किया जा सके.शॉर्टेसलर की नई रिपोर्ट में जो भी दावे किए गए हैं, उन आरोपों को SEBI और अदाणी ग्रुप दोनों ने ही 'निराधार' और 'दुर्भावनापूर्ण' करार दिया है.

पूर्व केंद्रीय मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने X पर एक पोस्ट में कहा कि इस रिपोर्ट का मकसद रेगुलेट को बदनाम करना और निवेशकों के लिए बाजार में अराजकता और नुकसान पैदा करना है - ऐसा करके बाजार की तेजी को धीमा करना है.

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कारेलियन एसेट मैनेजमेंट एंड एडवाइजर्स (Carnelian Asset Management & Advisors.) के फाउंडर विकास खेमानी ने X पर लिखा है कि भारत के कॉरपोरेट गवर्नेंस स्टैंडर्ड कई विकसित देशों की तुलना में कहीं बेहतर हैं. जो लोग हमें गवर्नेंस का उपदेश देते हैं, उनके बाजार कहीं ज्यादा जोखिम भरे हैं. मैं ये नहीं कह रहा हूं कि हमारे बाजार बिल्कुल ठीक हैं और हमारे पास कोई समस्या नहीं है, लेकिन हर बार, निहित स्वार्थ भारत और उसकी विश्वसनीयता पर सवाल उठाते हैं.

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इंफोसिस के पूर्व CFO मोहनदास पई ने नई हिंडनबर्ग रिपोर्ट को 'वल्चर फंड की ओर से चरित्र हनन' करार दिया है. X पर पई लिखते हैं कि सनसनी पैदा करने के मकसद से लगाए गए बकवास आरोप. सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में एक प्रतिष्ठित पैनल की देखरेख में एक जांच हुई थी- जब वल्चर फंड पूरी तरह से उजागर हो जाता है तो ये कीचड़ उछालता है. पई ने SEBI की रेगुलेटरी प्रक्रियाओं का भी बचाव करते हुए कहा कि SEBI सेबी के सभी नियम खुले परामर्श के बाद बनाए गए हैं. ये नियम ग्लोबल स्टैंडर्ड के आधार पर बाजार और रेगुलेटर के बीच सामूहिक सोच को दर्शाते हैं.

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कैपिटलमाइंड के CEO दीपक शेनॉय ने भी हिंडनबर्ग के नए आरोपों को तथ्यविहीन कहा है.

भारत सरकार के 17वें मुख्य आर्थिक सलाहकार (CEA) के रूप में काम चुके कृष्णमूर्ति वी सुब्रमण्यन ने शॉर्टसेलर के नए आरोपों पर अपना जवाब दिया है. उन्होंने SEBI चेयरपर्सन का सपोर्ट करते हुए कहा -'मैं SEBI चेयरपर्सन माधबी को लगभग दो दशकों से निजी तौर पर जानता हूं, उनकी बेदाग सत्यनिष्ठा और उनकी बौद्धिक क्षमता को देखते हुए, मुझे यकीन है कि वो हिंडनबर्ग की इस कोशिश को चकनाचूर कर देंगी'

इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट्स वकील साफिर आनंद का कहना है कि बढ़ते बाजार के बीच हिंडनबर्ग काम हताशा से प्रेरित थे. उन्होंने अपने X पर लिखा - 'ये मेरे लिए साफ है कि हिंडनबर्ग बाजार की तेजी से हताश है. एक नाकामी के कारण उसे कानूनी कार्रवाई सहित कई नतीजों से बचने की हताशा का सामना करना पड़ रहा है'.

NAV कैपिटल के मैनेजिंग डायरेक्टर विनीत अरोड़ा ने नई रिपोर्ट पर अपने विचार शेयर किए हैं, वो लिखते हैं कि 'उन्होंने इस रिपोर्ट को प्रकाशित करने से पहले ही बाजार को शॉर्ट कर दिया होगा. लोगों की तकलीफों से पैसा बना रहे हैं.'

ये सनसनी पैदा करने की कोशिश: AMFI   
SEBI चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच पर की गईं टिप्पणियां न केवल उनके भारतीय कैपिटल मार्केट में योगदान को कम करने की कोशिश करती हैं, बल्कि ये हमारे देश की आर्थिक तरक्की को भी कमजोर करने और बाजार के इकोसिस्टम में भरोसे को कम करने का प्रयास करती है. वास्तव में इसे अतीत में हुई कुछ घटनाओं को जोड़कर सनसनी पैदा करने की कोशिख के तौर पर देखा जाना चाहिए.

अगर इसे ऐसे ही छोड़ दिया गया तो ये दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था की राह में बेवजह की रुकावटें पैदा कर सकता है.हमारे रेगुलेटरी वातावरण के संदर्भ और समझ की कमी वाले ये बयान, हमारे देश की कड़ी मेहनत से कमाई गई उपलब्धियों को बदनाम करने की कोशिश करते हैं. इस तरह की घटनाओं को भारत के विकसित अर्थव्यवस्था बनने की कोशिश में रुकावट पैदा करने के रूप में देखना चाहिए. इन्वेस्टर्स और पार्टनर्स, घरेलू और अंतरराष्ट्रीय, दोनों को भरोसा होना चाहिए कि भारत की वित्तीय प्रणाली सुरक्षित और पारदर्शी है.

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