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This Article is From May 31, 2019

आंखें खोलने वाली है फिल्म Nakkash की कहानी, आज सिनेमाघरों में हुई रिलीज

फिल्म नक्क़ाश (Nakkash) के लेखक और निर्देशक जैगम इमाम (Zaigham Imam) ने फिल्म को बनाने के लिए बहुत ही ईमानदार कोशिश की है जो परदे पर नजर आ रही है. ये फिल्म बताती है कि किस तरह समाज में नफरत फैल रही है और इस नफरत को फैलाने वाले लोग कौन हैं?

आंखें खोलने वाली है फिल्म Nakkash की कहानी, आज सिनेमाघरों में हुई रिलीज
लोगों की आंखे खोल देगी 'नक्काश (Nakkash)' फिल्म की कहानी
नई दिल्ली:

फिल्म 'नक्काश' (Nakkash) की कहानी समाज में हिंदू- मुस्लिम के बीच फैल रही नफरत को बखूबी दर्शाती है. ये कहानी कारीगर अल्लाह रखा सिद्दीकी (Allah Rakha Siddiqui) की है, जो पुरखों से मंदिरों में अनूठी नक्काशी का काम करते हैं. अल्लाह रखा के मंदिर में काम करने की वजह से मुस्लमान इसे मुस्लमान नहीं समझते और मंदिर में जाने के लिए अल्लाह रखा को माथे पर लाल टीका लगाना पड़ता है ताकि हिन्दू इसे हिन्दू ही समझें. अल्लाह रखा के पास एक बेटा है मोहम्मद जिससे वो बेहद प्यार करता है और एक दोस्त है समद जिसकी कहानी साथ-साथ चलती है. अल्लाह रखा सिद्दीकी की भूमिका एक्टर इनामुल हक़ ने निभाई है, वहीं बेटे के रोल में हैं बाल कलाकार हरमिंदर सिंह हैं. शारिब हाश्मी ने फिल्म में समद का किरदार निभाया है जो रिक्शा चलता है.

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फिल्म नक्काश के लेखक और निर्देशक जैगम इमाम (Zaigham Imam) ने फिल्म को बनाने के लिए बहुत ही ईमानदार कोशिश की है जो परदे पर नजर आ रही है. ये फिल्म बताती है कि किस तरह समाज में नफरत फैल रही है और इस नफरत को फैलाने वाले लोग कौन हैं? और क्यों फैलाई जा रही है धर्म के नाम पर ये घृणा. फिल्म के विषय और कहानी के साथ साथ इसकी पटकथा अच्छी है जो फिल्म को बांध कर रखती है. फिल्म के संवाद बेहद प्रभावशाली हैं. इस फिल्म में कई दृश्य इमोशनल करते हैं और समाज का आइना दिखाते हैं. 

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इस फिल्म में सभी किरदारों ने अच्छा अभिनय किया है. इनामुल हक (Inaamulhaq) की एक्टिंग ने इस फिल्म को बेहद प्रभावशाली बनाया है. 'नक्क़ाश' में बाल कलाकर हरमिंदर सिंह (Harminder Singh) ने भी अच्छा अभिनय किया है. शारिब हाश्मी (Sharib Hasmi) ने अपनी भूमिका में कई रंग भरे हैं. मंदिर के पुजारी के किरदार में कुमुद मिश्रा (Kumud Mishra) हैं.

फिल्म की शुरुआत अच्छी होती है, हालांकि कहीं-कहीं ये फिल्म थोड़ी धीमी पड़ जाती है. इस फिल्म में समद की कहानी भी साथ-साथ चल रही है जो अपने पिता को हज भेजने के लिए पैसे इक्ट्ठे कर रहा है. फिल्म में इन दोनों ट्रैक को अच्छे से जोड़ा गया है. हालांकि हज का मुद्दा दिखाने की वजह से ये फिल्म असल मुद्दे से भटकी महसूस हो रही है.

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आज के दौर में फिल्म 'नक्काश' (Nakkash) एकदम फिट बैठती है. आज लोगों में धर्म के नाम पर नफरत फैल रही है. ये फिल्म बताती है कि इंसान को बनाने वाले अल्लाह और भगवान किसी में फर्क नहीं करते लेकिन खुद इंसान एक दूसरे में फर्क करते हैं. इस फिल्म के द्वारा समाज को ये सीख दी गई है कि राजनीति धर्म से नहीं बल्कि कर्म से करनी चाहिए. जैगम इमाम द्वारा बनाई गई ये फिल्म आपकी आंखें खोलने वाली है. इसलिए इस फिल्म को हमारी तरफ से 3 स्टार दिए जा रहे हैं. 

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