
विष्णु मंचू की फिल्म ‘कन्नप्पा' कुछ वक्त पहले सुर्खियों में थी क्योंकि ब्राह्मण समाज के लोगों ने फिल्म पर आपत्ति जतायी थी कि इसमें उनका मजाक उड़ाया गया है. अब इस विवाद पर खुल के बोले फिल्म के निर्माता, लेखक और मुख्य कलाकार विष्णु मंचू. उन्होंने साफ कहा, "एक–दो लोगों ने बस एक लेटर बना लिया, पब्लिसिटी के लिए. फिल्म वाले और फिल्में हमेशा सॉफ्ट टारगेट होते हैं. कोई भी कुछ भी बोल देता है, और वो न्यूज़ बन जाती है.
‘कन्नप्पा' इस वक्त इंडिया की सबसे ज़्यादा इंतजार की जा रही फिल्मों में से एक है. किसी को अगर पब्लिसिटी चाहिए, तो वो ऐसे ही टैक्टिक्स अपनाता है जिससे वो दो दिन न्यूज में रहेगा. लेकिन ऐसे लोग हमारे देश में हैं, जो बिना कुछ देखे, बिना कुछ समझे आवाज उठाने की कोशिश करते हैं. पर अब वो भी चुप हो गए हैं. फिल्म में कुछ भी गलत नहीं है. ये भगवान की फिल्म है, भक्ति पर है".
अक्सर फ़िल्मों को लेकर विवाद उठाते रहते और खासतौर पर पीरियड फिल्में या माइथोलॉजी से जुड़ी फिल्मों पर. जब विष्णु से पूछा गया कि क्या आज के वक्त फिल्में बनाना मुश्किल हो गया है? तो उनका जवाब था, "बिलकुल, फिल्म बनाना अब मुश्किल है, क्योंकि फिल्म बनाते वक्त नहीं, बल्कि रिलीज के टाइम डर लगता है कि कौन क्या बोल देगा. किसे क्या बुरा लग जाएगा, किसे क्या ‘हर्ट' कर देगा. इसका कुछ अंदाजा नहीं होता. पहले ‘गब्बर सिंह' जैसा नाम होता था और ये नाम कितना फेमस था. लेकिन आज अगर वो नाम यूज कर लें, तो कोई कह देगा, ‘गब्बर क्यों यूज़ किया? मेरा नाम गब्बर है, क्या मैं डाकू हूं ?' और केस भी कर सकता है".
विष्णु आगे कहते हैं, "पुष्पा फिल्म में शायद ऐसा हुआ भी, एक पुलिस अफसर का नाम था ‘शेखावत'. किसी ने कहा, ‘मेरा नाम शेखावत है, तुम विलेन का नाम ऐसा क्यों रख रहे हो?'. शुक्र है किसी ने फिल्म के टाइटल ‘पुष्पा' पर आपत्ति नहीं की". कई बार फिल्म पर विवाद वरदान भी साबित होता है और कई बार श्राप भी लेकिन यह बात भी सही है कि फ़िल्म से जुड़े लोग ज़्यादातर किसी भी विवाद से बचते ही नज़र आते हैं क्यूंकि विवाद के चलते बहुत से कलाकारों और फ़िल्मों को बहुत बड़ा नुक़सान झेलना पड़ा है .
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