
मुंबई पहुंचे फिल्म ‘कन्नप्पा' के निर्माता, लेखक और मुख्य किरदार में हैं विष्णु मंचू, जिन्होंने NDTV से बात करते हुए कई मुद्दों पर चर्चा की. अक्सर फिल्म जगत में प्रतिस्पर्धा की भावना या असुरक्षा (इनसिक्योरिटी) की बातें सामने आती हैं. बात अगर ‘कन्नप्पा' की हो, तो इसमें प्रभास जैसे कलाकार हैं, जिन्होंने ‘कन्नप्पा' के ही जॉनर में भारत की सबसे बड़ी फिल्में दी हैं: बाहुबली 1 और 2. फिर उन्होंने ‘कन्नप्पा' में स्पेशल अपीयरेंस यानी छोटी भूमिका के लिए क्यों हां कहा? क्या उन्हें या विष्णु मंचू को एक-दूसरे से इनसिक्योरिटी नहीं हुई?
सवाल लाजमी था, और जब विष्णु से पूछा गया, तो उन्होंने कहा, "प्रभास एशिया के सबसे बड़े सुपरस्टार हैं. इनसिक्योरिटी तो उन्हें नहीं रहती. कभी भी उनके अंदर इनसिक्योरिटी नहीं देखी. वैसे हर स्टार इनसिक्योर होता है, अगर उसकी फ़िल्म रिलीज हो रही हो या कुछ और हो. लेकिन एक्टर्स के बीच उन्हें अपना स्टैचर पता होता है.
आज की तारीख में वो मुझसे बहुत बड़े स्टार हैं, और ये फिल्में करने के लिए मैं उनका बहुत शुक्रगुज़ार हूं. उन्होंने ये फिल्म सिर्फ प्यार और अपनापन दिखाते हुए की, किसी और चीज के लिए नहीं. और मुझे इनसिक्योरिटी नहीं है, क्योंकि मुझे पता है मैं कैसा ऐक्टर हूं. मैं एक अच्छा ऐक्टर हूं, जितना मुझे लगता है. आप स्क्रीन पर देखने के बाद जज कीजिएगा कि ये दोनों कैसे लगते हैं? तो एक एक्टर के तौर पर, मैं किसी के भी साथ खड़ा हो सकता हूं".
जब उनसे आगे पूछा गया कि क्या साउथ में भी इनसिक्योरिटी होती है, तो उन्होंने कहा, "इनसिक्योरिटी हर जगह होती है. कोई भी एंटरटेनर होगा, तो उसके अंदर इनसिक्योरिटी होगी. ये इस पर निर्भर करता है कि किस तरह की इनसिक्योरिटी. आपके अंदर किसी न किसी रूप में इनसिक्योरिटी होती है. हर इंसान के अंदर किसी न किसी चीज़ को लेकर इनसिक्योरिटी होती है.लेकिन एक ऐक्टर के तौर पर जब आप कोई रोल कर रहे हों, तो आपको इनसिक्योर नहीं महसूस करना चाहिए". विष्णु मंचू , निर्माता, लेखक और अभिनेता के अलावा एक एजुकेशनिस्ट भी हैं. हैदराबाद और दक्षिण में उनके कई प्री- स्कूल और स्कूल भी हैं.
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