बॉलीवुड में पांच दशक का समय, लगभग 638 फिल्में और चार हजार से ज्यादा शानदार गाने. कुछ ऐसा रिकॉर्ड रहा है मशहूर गीतकार आनंद बख्शी का. उनकी गीतों की लिस्ट में मोहरा के 'तू चीज बड़ी है मस्त मस्त' से लेकर मर्यादा फिल्म के 'जुबां पे दर्द भरी दास्तां चली आई' तक शामिल है. यही नहीं वह 40 बार फिल्मफेयर पुरस्कारों के लिए नॉमिनेट हुए जबकि चार बार विजेता बनने में कामयाब रहे. 21 जुलाई. 1930 में रावलपिंडी में जन्मे आनंद बख्शी का निधन 30 मार्च, 2002 को 71 वर्ष की उम्र में मुंबई में हुआ.
भारत पाकिस्तान के बंटवारे के बाद आनंद बख्शी का परिवार रावलपिंडी से दिल्ली आ गया और दिल्ली में रहने लगा. आनंद को अपने जवानी के दिनों से ही शायरी का शौक हो गया. आनंद बख्सी ने पढ़ाई के बाद भारतीय नौ सेना जॉइन कर ली, लेकिन शायरी के अपने शौक को भी पूरा करते रहे. वह नौसेना में काम करते रहे और मुंबई फिल्म जगत में अपने गानों को आजमाने की कोशिश करते रहे. उन्हें जिस फिल्म में गाना लिखने का पहली बार मौका मिला वह 1956 की 'भला आदमी' थी. इस फिल्म में उनके चार गाने थे. इसके बाद भी वह कई फिल्मों में गाने लिखते रहे. लेकिम असल पहचान उन्हें 1965 में 'हिमालय की गोद में' फिल्म से मिली. इसके बाद ही जब 1965 में 'जब जब फूल खिले' रिलीज हुई तो आनंद बख्शी के गाने ने तो तहलका ही मचाकर रख दिया.
आनंद बख्शी ने गायकी में भी हाथ आजमाया था. 1972 की फिल्म 'मोम की गुड़िया' फिल्म का गाना 'बागों में बहार आई' को उन्होंने ही डुएट में गाया था. इसके अलावा उनका गाया एक अन्य लोकप्रिय गाना 1976 की चरस फिल्म का 'आ जा तेरी याद आई' है.
आनंद बख्शी ने बॉबी, अमर प्रेम, अराधना, मेरा गांव मेरा देश, आए दिन बहार के, आया सावन झूम के, सीता और गीता, शोले, धर्म वीर, नगीना, लम्हे, हम, मोहरा, दिलवाले दुलहनिया ले जाएंगे, परदेश, ताल, मोहब्बेतें और गदर: एक प्रेम कथा जैसी फिल्मों के लिरिक्स लिखे.
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