भारत में हर साल कई भाषाओं में बहुत सी फिल्मों का निर्माण होता है. क्षेत्रीय भाषाओं की लंबी लिस्ट देखकर ये कहा जा सकता है कि भारत की फिल्म इंड्स्ट्री का दुनिया भर में कोई मुकाबला नहीं है. पैन इंडिया मूवीज का दौर तो अब शुरू हुआ है, लेकिन भारती आंचलिक भाषा की मूवीज उससे पहले से ही दुनियाभर में अपनी पहचान बना चुकी हैं. कुछ फिल्में तो ऐसी हैं जो आज भी दुनियाभर की टॉप 100 मूवीज की लिस्ट में शामिल हैं और उनकी जगह कोई नहीं ले सकता. आज आपको बताते हैं कौन सी हैं वो तीन फिल्में जो देश ही नहीं पूरी दुनिया की पसंद बन गईं.
प्यासा
गुरुदत्त की ये एक आइकोनिक फिल्म है. जिसकी स्टोरीलाइन से लेकर एक्टिंग और गीत संगीत भी लाजवाब है. इस क्लासिक मूवी में गुरुदत्त बने हैं एक शायर जिनकी शायरी को सही कद्रदान नहीं मिलते. बाद में जो उनकी शायरी की गहराई समझ पाती है वो एक वेश्या होती है. जिसके किरदार में वहिदा रहमान ने कमाल का काम किया है. माला सिन्हा ने भी फिल्म में जान डाली है, जिनके किरदार का नाम मीना होता है.
पाथेर पांचाली
1910 के पश्चिम बंगाल की पृष्टभूमि पर तैयार इस फिल्म को भी कोई तोड़ नहीं है. इस नाम से बिभूतिभूषण बंदोपाध्यायन ने बंगाली में एक उपन्यास लिखा था. जिस पर फिल्म बनी. फिल्म की कहानी अपू और उसकी बड़ी बहन दुर्गा के किरदार के इर्द गिर्द घूमता है. जिसमें बंगाली कलाकार सुबीर बनर्जी, करूणा बनर्जी, उमा दासगुप्ता और कानु बनर्जी ने काम किया है.
नायकन
ये फिल्म कमल हासन की चुनिंदा और शानदार फिल्मों में से एक है. इस फिल्म को टाइम मैग्जीन ने दुनिया की सौ सबसे बेहतरीन फिल्मों में जगह दी है. 1987 में रिलीज होने के बाद फिल्म 75 दिन तक सिनेमाघर में लगी रही. फिल्म इतनी हिट हुई कि हिंदी में इसे दयावान के नाम से फिर बनाया गया. हिंदी वर्जन में विनोद खन्ना, फिरोज खान और माधुरी दीक्षित जैसे स्टार लीड रोल में थे.
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