नेटफ्लिक्स पर आज अनिल कपूर और उनके बेटे हर्षवर्धन कपूर की फिल्म 'थार' रिलीज हो गई है. फिल्म को लेकर खूब हाइप थी. लेकिन फिल्म ने पूरी तरह निराश किया. ओटीटी पर रिलीज हो रही फिल्मों को देखकर ऐसा लगने लगा है कि बॉलीवुड या तो ओटीटी को सीरियसली नहीं ले रहा है, या फिर ओटीटी प्लेटफॉर्म भी बड़े नाम देखकर किसी भी तरह का कंटेंट लपक ले रहे हैं. 'थार' एक ऐसी ही फिल्म है, जो हर मोर्चे पर निराश करती है. फिल्म शुरू से लेकर आखिर तक कहीं भी रोमांच पैदा नहीं करती है. फिर फिल्म में जो अंत दिखाया गया है, वह काफी स्वाभाविक और बॉलीवुड में इस तरह की कहानियां पहले भी कई बार कही जा चुकी हैं.
फिल्म की कहानी पुलिस इंस्पेक्टर अनिल कपूर और एंटीक डीलर हर्षवर्धन कपूर की है. अनिल कपूर राजस्थान के एक सुदूर गांव में पुलिस अफसर हैं. जिंदगी आराम से कटी है, लेकिन अब इलाके में कुछ हलचल होने लगी है. कत्ल हो रहे हैं. अफीम की तस्करी हो रही है और सीमा पार से आए एक शख्स ने उन्हें निशाने पर ले लिया है. वहीं फातिमा सना शेख का पति है जो चोरी चकारी करता है. इस तरह सारे तार एक दूसरे से जुड़ते हैं, और फिर कुछ ऐसा होता है जो बिल्कुल भी मजा नहीं देता है. फिल्म में मजबूत कहानी की जगह माहौल और म्यूजिक पर ज्यादा जोर नजर आता है. कहानी बांधने का काम नहीं करती है. जब परतें खुलती हैं तो बहुत ही स्वाभाविक सा नजारा दिखता है.
थार में एक्टिंग के मामले में सबकुछ एवरेज है. अनिल कपूर कोशिश करते हैं. अपने किरदार में ठीक लगते हैं. सतीश कौशिक उनका अच्छा साथ देते हैं. हर्षवर्धन कपूर एक बार फिर इम्प्रेस करने में नाकाम साबित होते हैं. एक्सप्रेशन पकड़ने में चूकते हैं. फातिमा सना शेख के पास ज्यादा करने को कुछ है नहीं. लेकिन डायरेक्टर ने जिस तरह से पुराने समय और माहौल को दिखाया है, उसे देखकर अंदाजा लग जाता है कि राजस्थान और इस इलाके के बारे में रिसर्च गहन नहीं हुई है. कुल मिलाकर कहानी और माहौल के साथ जिस सिनेमाई दुनिया को रचने की कोशिश की गई, वह सफल नहीं रही.
रेटिंग: 2/5 स्टार
डायरेक्टर: राज सिंह चौधरी
कलाकार: अनिल कपूर, हर्षवर्धन कपूर, सतीश कौशिक, मुक्ति मोहन और फातिमा सना शेख
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