बॉलीवुड एक्टर सोनू सूद (Sonu Sood) लॉकडाउन में गरीबों से महीसा बनकर उभरे. उन्होंने प्रवासी मजदूरों को उनके घर पहुंचाने में खूब मदद की है. अनलॉक के समय में भी वो गरीबों की जितना संभव हो सके मदद कर रहे हैं. सोनू सूद (Sonu Sood) खुद एक इंजीनियर हैं और उन्होंने अपने कॉलेज के दिनों को याद किया है और कुछ अनसुने किस्से शेयर किए हैं. सोनू सूद ने कहा: "मैं नागपुर वायसीसी में इलेक्टॉनिक्स में बीई कर रहा था. इसलिए मेरे जितने भी दोस्त थे, वो झगड़ा करना, मार-धाड़ करना थोड़े इस प्रकार के थे. इसलिए मैं उनको हमेशा समझाता था कि झगड़ा मत करो, कोई रखा नहीं है जगड़ा में, यहां पे पढ़ाई करने आए हैं. मां-बाप का नाम रोशन करने आए हैं इसलिए इन सबमें मत पड़ो. लेकिन फिर भी उनका कुछ न कुछ पंगा और उनके झगड़े ऐसे होते थे कि तलवार निकल गई और उनपर मुकदमा हुआ कि वे देसी पिस्टल लेकर आते थे वहां पर. उस तरह के कॉलेज का, जैसे हम फिल्मों में देखते थे वैसा माहौल था."
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सोनू सूद (Sonu Sood) ने कहा: मुझे याद है कि एक बार कुछ बहुत बड़ा झगड़ा हो गया और मैं, क्योंकि मैं वहां शांति बनाए रखने वालों में से था तो अपने होस्टल में बैठा हुआ था. और हम लगभग 150 लोग थे. वो हॉकी लेकर हॉस्टल में आए. मेरा कमरा नंबर 10 था. उन्होंने उसे खोला और देखा कि मैं कैरम खेल रहा हूं और मेरे साथ एक और लड़का था. तो उन्होंने ऐसे ही देखा. मैंने पलट के देखा कि ये लोग हैं फिर महसूस किया कि हॉस्टल में कुछ अच्छा नहीं होने जा रहा है. हालांकि वो लोग फिर चले गए. फिर एक लड़का दौड़ते हुए आया कि यार मेरे रूम नंबर के सामने लड़कों की बहुत पिटाई कर रहे हैं. हॉकी से मार रहे हैं. सोनू आप आइए बचाने के लिए."
मैं जैसे ही गया वहां पर, तो उन्होंने कहा कि आप जूनियर हो आपको आदर करना नहीं आता? आपको 90 डिग्री से झुककर सलाम करना पड़ता है. मैंने बोला कि ये तो मैं नहीं करूंगा. फिर एक लड़के ने पूरी ताकत से हॉकी स्टीक से मेरे चेहरे पर मारा. उसने जैसे ही मारा उस समय खूने मेरे आंख से बहने लगा और मैं एक दम ऐसे पलट के देखा, मिरर के सामने मुझे लगा कि पूरा चेहरा खून से भर गया और मैंने कहा कि इसने तो मेरा चेहरा खराब कर दिया मेरा अब तो जिंदगी खराब हो गई. और फिर मैं शुरू हो गया. मैं एकदम मारने लग गया और सभी 20-30 लड़के उस कमरे में आए और उन्होंने हॉकी से खूब मारा मुझे. फिर मैंने बोला बेटा अभी छोड़ूंगा नहीं."
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सोनू सूद (Sonu Sood) ने आगे कहा: "पेपर था और मुझे याद है कि मैंने अगले दिन मैंने इसे मिस कर दिया. मैंने 150 लड़के इकट्ठे किए और बाइक से वहां गए. हमने एक-एक को जो दूसरे ग्रुप वाले लड़के थे उनको निकाल के पीटा और फिर वहां से भागे. अगले दिन पुलिस ढूंढ रही थी हम लोगों को. इसलिए पांच दिन तक हम वहां नहीं गए. वो कमाल था."
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