यह था वो गाना जिसने मुकेश को निकाल दिया था गर्दिश से बाहर, एक बार फिर स्टार बन गए थे Mukesh

Mukesh Songs: साल 1958 में रिलीज हुई फिल्म यहूदी का यह एक गाना आज भी फैंस के दिलों पर राज करता है. इसे मुकेश के बाद और भी कई गायकों ने अपनी आवाज़ दी, लेकिन मुकेश की आवाज़ का जादू आज भी सभी को अपना दीवाना बना देता है.

यह था वो गाना जिसने मुकेश को निकाल दिया था गर्दिश से बाहर, एक बार फिर स्टार बन गए थे Mukesh

Best Song Of Mukesh: इस गाने से एकबार फिर मुकेश को वो पहचान मिली जो एक एक्टर के रूप में धुंधलाने लगी थी.

Singer Mukesh: जब महान गायकों की बात आती है तो मुकेश का जिक्र जरूर होता है. मुकेश ने बॉलीवुड के एक से बढ़कर एक गाने गाए थे, ऐसे नग्मों को आवाज दी थी जो प्रेम की गहराइयों और विरह की पीड़ा को बखूबी बयां करते थे. मुकेश की जिंदगी में एक वो वक्त भी आया था जब उन्होंने एक्टिंग में भी हाथ आजमाने की कोशिश की थी. इस कोशिश में उनके सितारे गर्दिश में आ गए थे. लेकिन, एक ऐसा गाना भी था जिसने मुकेश (Mukesh) को वो ख्याति दी जिससे आज भी उनकी पहचान होती है. 

'यह मेरा दीवानापन है...' एक ऐसा गाना जो आजकल लोगों की जुबान पर चढ़ा हुआ है. इश्क की दीवानगी समेटे इस गाने में वो दर्द है जो किसी के भी दिल में उतर सकता है. अली सेठी (Ali Sethi) के गाए इस गाने को बेशक आपने कई बार इंस्टा रील या सोशल मीडिया पर कहीं सुना होगा, लेकिन क्या आप जानते हैं यह ऑरिजिनल गाना जिस फिल्म का है वो 65 साल पहले रिलीज हुई थी. 

असल में, साल था 1958 जब फिल्म यहूदी (Yahudi) ने बड़े परदे पर दस्तक दी थी. फिल्म में मुख्य किरदार दिलीप कुमार और मीना कुमारी ने निभाया था. फिल्म में कई बेहतरीन गाने थे लेकिन एक ऐसा गाना था जिसने शैलेंद्र को पहला बेस्ट लिरिसिस्ट का फिल्म फेयर अवॉर्ड दिलाया था और मुकेश को एकबार फिर महान गायकों की गिनती में वापस ले आया था. यह गाना था यह मेरा दीवानापन है. गाने के संगीतकार थे शंकर जयकिशन जिनके साथ मुकेश ने किसी की 'मुस्कुराहटों पे हो निसार' और 'सजन रे झूठ मत बोलो' जैसे गाने भी गाए थे. 

अली सेठी से पहले और मुकेश के बाद सुशीला रमन की आवाज में यह गाना हिट हुआ था. 2006 में आई मीरा नायर की फिल्म द नेमसेक में इस गाने को लोगों ने खूब पसंद किया था. 

अली सेठी ने मिश्री घुली आवाज में इसे गाया था, सुशीला रमन ने सिडक्टिवली गाया लेकिन, मुकेश की आवाज में दर्द था और एक कसक थी जो सुनते ही दिल में उतर जाती है. मुकेश कहा करते थे, "अगर मुझे 10 लाइट गाने मिलें और 1 सैड सोंग मिले तो मैं 10 गाने छोड़कर एक सैड सोंग गाउंगा." 

तो इस तरह गाने के बोल इंतजार, दर्द, घुटन जैसी भावना से भरे होते हुए भी अलग-अलग म्यूजिक के साथ अलग-अलग मूड में ढल जाते हैं. ऐसा बहुत से हिंदी सीरियल्स और फिल्मों में भी देखने को मिलता है जब एक ही गाने को अलग-अलग सीन के लिए अलग-अलग तरह से रिकॉर्ड किया जाता है. 

एक और दिलचस्प बात, फिल्म यहूदी 1958 में आई थी और इसी साल रिलीज हुई थी फिल्म अमरदीप. देवानंद और व्यजंतीमाला की इस फिल्म में एक गाना है 'देख हमें आवाज ना देना' जो कुछ-कुछ या थोड़ा ज्यादा ही यह मेरा दीवानापन के संगीत से मेल खाता है. इस गाने को अपनी आवाज आशा भोंसले और मो. रफी ने दी थी. वैसे, यह मेरा दीवानापन के लिए भी दिलीप कुमार (Dilip Kumar) मो. रफी या तलत महमूद को चाहते थे लेकिन शंकर जयकिशन के कहने पर मुकेश को गाना मिला और दिलीप कुमार को खुद यकीन नहीं हुआ कि मुकेश ने कितना बखूबी इसे गाया.

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इस गाने को लोगों के बीच पॉपुलेरिटी मुकेश की आवाज में 1958 में मिली, 2006 में सुशीला रमन की आवाज से भी मिली और 2015 में पाकिस्तानी सीरियल में अली सेठी ने जब इसे गाया तब भी मिली और देखिए 2023 में भी यह गाना लोगों को किस तरह अपना दीवाना बना रहा है. 

वो गाना जिसने Mukesh को निकाला गर्दिश से बाहर | Bollywood Gold