मुंबई:
अदाकारा ऋचा चड्ढा ने कहा है कि बॉलीवुड में यौन उत्पीड़न होता है इस बात को स्वीकार करना साहस की बात है लेकिन ऐसा करने वालों का नाम नहीं लिया जा सकता क्योंकि उसके बाद काम मिलने की गारंटी नहीं होती. ऋचा ने कहा कि यौन उत्पीड़न स्थिति से संबंधित ब्लॉग पोस्ट के लिये उनपर निशाना साधा गया. यहां तक कि नारीवादी रूझान वालों ने भी पूछा कि आप ऐसा करने वालों का नाम क्यों नहीं ले रही हैं. ऋचा ने एक न्यूज एजेंसी को दिए इंटरव्यू में कहा कि अगर आप मुझे जिंदगी भर पेंशन दें, मेरी सुरक्षा और मेरे परिवार का ख्याल रखें, यह सुनिश्चित करें कि मुझे फिल्मों और टीवी में काम मिलता रहेगा या मैं जो भी करना चाहूं करती रहूं, मेरा करियर निर्बाध बढ़ता रहे तो मैं अभी नाम लूंगी, वाकई ऐसा करूंगी.
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उन्होंने कहा, केवल मैं ही नहीं और भी लोग ऐसा करेंगे. लेकिन कौन ऐसा करेगा? अदाकारा का मानना है कि फिल्म इंडस्ट्री में इस तरह की व्यवस्था नहीं है जिससे कि पीड़ितों को सुरक्षा मिले. उन्होंने कहा, हर बार जब कोई बोलता है तो प्रतिक्रिया होती है. नाम बताने को कहा जाता है. अगर प्रेस को पता है कौन यह कर रहा तो क्यों नहीं बताते. ऋचा ने आगे कहा कि जब भी हम एक कदम उठाते हैं तो प्रतिक्रिया होती है. इंडस्ट्री की व्यवस्था और ढांचे को बदलने की जरूरत है. अदाकार के लिए रायल्टी नहीं होती. समुचित कानून के अभाव में कौन लेगा जोखिम?
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उन्होंने यह भी कहा कि मुझे न्याय का पूरा बोध है. मैंने अपने दिल के करीब की बातें कहीं. लेकिन, मुझे लगता है कि मैं थोड़ा भावुक हूं. दुनिया भर के घटनाक्रमों से प्रभावित होती हूं.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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उन्होंने कहा, केवल मैं ही नहीं और भी लोग ऐसा करेंगे. लेकिन कौन ऐसा करेगा? अदाकारा का मानना है कि फिल्म इंडस्ट्री में इस तरह की व्यवस्था नहीं है जिससे कि पीड़ितों को सुरक्षा मिले. उन्होंने कहा, हर बार जब कोई बोलता है तो प्रतिक्रिया होती है. नाम बताने को कहा जाता है. अगर प्रेस को पता है कौन यह कर रहा तो क्यों नहीं बताते. ऋचा ने आगे कहा कि जब भी हम एक कदम उठाते हैं तो प्रतिक्रिया होती है. इंडस्ट्री की व्यवस्था और ढांचे को बदलने की जरूरत है. अदाकार के लिए रायल्टी नहीं होती. समुचित कानून के अभाव में कौन लेगा जोखिम?
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उन्होंने यह भी कहा कि मुझे न्याय का पूरा बोध है. मैंने अपने दिल के करीब की बातें कहीं. लेकिन, मुझे लगता है कि मैं थोड़ा भावुक हूं. दुनिया भर के घटनाक्रमों से प्रभावित होती हूं.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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