How Rehman Dakait killed by Chaudhry Aslam: फिल्म धुरंधर में अक्षय खन्ना का किरदार रहमान डकैत एक ऐसे इंसान के रूप में दिखाया गया है, जिसकी कहानी अस्पताल से शुरू होती है और अस्पताल पर ही खत्म हो जाती है. वह सीन में एक खौफनाक गैंगस्टर से ज्यादा एक टूटे हुए पिता के रूप में नजर आता है, जो अपने बेटे की लाश पहचानने अस्पताल पहुंचता है. बेटे की हत्या एक शादी में होती है, जिसे गेम ऑफ थ्रोन्स की “रेड वेडिंग” से तुलना की गई है. फिल्म के अंत में भी रहमान डकैत की जिंदगी पूरा चक्कर लगाकर वहीं आ जाती है. खून से लथपथ उसका शरीर स्ट्रेचर पर पड़ा होता है. दिलचस्प बात यह है कि असल जिंदगी में भी कराची के लियारी इलाके का कुख्यात गैंगस्टर रहमान डकैत, जिसका असली नाम सरदार अब्दुल रहमान बलोच था, अस्पताल ले जाए जाते समय ही मारा गया.
असली रहमान डकैत कौन था?
2009 में रहमान डकैत अपने तीन साथियों- अकील बलोच, औरंगजेब बाबा और नजीर बाला के साथ कराची के काथोर इलाके में दो कारों में जा रहा था. तभी ईस्ट जों के SSP चौधरी असलम खान की अगुवाई में पुलिस ने उन्हें रोकने की कोशिश की. पाकिस्तानी मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, दोनों तरफ से फायरिंग हुई. मुठभेड़ में सभी घायल हो गए. पुलिस का कहना था कि उन्हें अस्पताल ले जाया जा रहा था, लेकिन रास्ते में ही उनकी मौत हो गई. टीवी चैनलों पर खबर आने के बाद चौधरी असलम ने कहा था, “मैं पुष्टि करता हूं कि यह रहमान डकैत ही है.”
फिल्म बनाम हकीकत
फिल्म धुरंधर में संजय दत्त का किरदार चौधरी असलम, रहमान डकैत को तब हिरासत में लेता है जब वह अपनी पत्नी उल्फत और बीमार बेटे के साथ अस्पताल जा रहा होता है. रणवीर सिंह का किरदार हमजा अली मजारी बीच-बचाव करता है और रहमान को छोड़ दिया जाता है. लेकिन बाद में हमजा, PPP नेता जमील जमाली और चौधरी असलम मिलकर रहमान को खत्म करने की साजिश रचते हैं. लंबे चेज के बाद रहमान पकड़ा जाता है और चौधरी असलम उसकी गर्दन में गोली मार देता है, उसे अस्पताल तक जिंदा रखने की कोशिश के साथ.
‘फेक एनकाउंटर' का आरोप
रहमान डकैत की पत्नी ने सिंध हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दावा किया कि उनके पति की हत्या फर्जी मुठभेड़ में की गई. उनके मुताबिक, रहमान 9 अगस्त 2009 को बलूचिस्तान के तुर्बत में एक बिजनेस मीटिंग के लिए गए थे, जहां पुलिस ने उन्हें रोका और कथित तौर पर अगवा कर लिया. याचिका में कहा गया कि 10 अगस्त की रात उन्हें स्टील टाउन पुलिस स्टेशन के पास एक फर्जी एनकाउंटर में मार दिया गया. उनकी पत्नी ने यह भी दावा किया कि रहमान एक समाजसेवी थे और राजनीति में बढ़ती पकड़ से कुछ नेताओं और अफसरों को खतरा महसूस हो रहा था.
सवाल जो आज भी बाकी हैं
पीपुल्स अमन कमेटी के चेयरमैन मौलाना अब्दुल मजीद सरबाज़ी ने भी मौत पर सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के मुताबिक, गोली बहुत नजदीक से मारी गई थी, जो आम एनकाउंटर में नहीं होता. कुछ लोगों ने यह भी शक जताया कि रहमान की हत्या के पीछे बलोच लिबरेशन आर्मी (BLA) का हाथ हो सकता है.
आगे क्या हुआ?
रहमान डकैत की मौत के बाद चौधरी असलम का बयान सामने आया, “रहमान डकैत मर चुका है और उसका गैंग खत्म हो गया है.” हालांकि सिंध हाईकोर्ट ने पहले चौधरी असलम और अन्य अफसरों को बरी कर दिया था, लेकिन बाद में FIR दर्ज करने और नए जांच अधिकारी की नियुक्ति के आदेश दिए गए. फैसला आने से पहले ही 2014 में चौधरी असलम एक सुसाइड बम धमाके में मारे गए, जिसकी जिम्मेदारी पाकिस्तानी तालिबान ने ली. आज भी यह साफ नहीं है कि रहमान डकैत की मौत एनकाउंटर थी या सियासी साजिश. रील और रियल की यह कहानी अब भी कई सवाल छोड़ जाती है.
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