नई दिल्ली:
बेमिसाल पेंटर मकबूल फिदा हुसैन का जन्म 17 सितंबर, 1915 को पंढरपुर में हुआ था. मनमौजी स्वभाव के हुसैन का जीवन संघर्ष भरा रहा और उन्होंने कैलिग्राफी से लेकर पोस्टर पेंटिंग तक के हर काम को अंजाम दिया. हुसैन अपनी मेहनत के दम पर एक दिन उस मुकाम पर पहुंचे जहां पहुंचना किसी भी पेंटर का ख्वाब होता है. बेशक वे कितने ही बड़े पेंटर बन गए लेकिन सिनेमा को लेकर उनका प्यार कम नहीं था और कुछ हीरोइनें थीं, हुसैन जिनके दीवाने थे. ऐसी ही हीरोइन थीं माधुरी दीक्षित. जिनकी ‘हम आपके हैं कौन (1994)’ हुसैन ने 67 बार देखी थी और उनके ऊपर पेंटिंग की पूरी सीरीज भी बनाई थी.
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जब बुक करा दिया पूरी सिनेमा हॉल
माधुरी को लेकर उनकी इस दीवानगी को यूं भी समझा जा सकता है कि उन्होंने माधुरी को लेकर 2000 में ‘गजगामिनी’ फिल्म बना डाली थी. वे फिल्म के डायरेक्टर थे. बेशक फिल्म कामयाब नहीं रही, लेकिन उन्होंने अपनी कल्पना को परदे पर उकेरने का काम किया. उनकी दीवानगी का आलम सात साल बाद उस समय भी कायम रहा जब माधुरी दीक्षित ने ‘आज नचले’ के साथ बॉलीवुड में दोबारा एंट्री मारी. हुसैन उन दिनों दुबई में थे और उन्होंने दोपहर के शो के लिए दुबई के लैम्सी सिनेमा को पूरा अपने लिए बुक करा लिया था.
इन पर भी फिदा थे हुसैन
हुसैन रंग और अपने ब्रश के साथ जीने वाले वाले शख्स थे. इसलिए जब कोई हटकर हसीन चेहरा उन्हें दिखा तो उन्होंने उसे तुरंत कैमरे या अपने कैनवस पर कैद करने का फैसला लिया. इसी तरह हुसैन को तब्बू भी काफी पसंद थीं, और उन्होंने उनके लिए ‘मीनाक्षी: अ टेल ऑफ थ्री सिटीज (2004)’ बनाई थी. कामयाबी यहां भी नहीं मिली. लेकिन जिस तरह का सिनेमा उन्होंने बनाया और रंग दिए, वे हमेशा याद रखे जाएंगे.
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बॉलीवुड को लेकर उनका प्यार कभी कम नहीं हुआ. उन्हें 2006 में एक और हीरोइन मिली जिसे देखकर वे फिदा हो गए. ये थी ‘विवाह’ फिल्म की अमृता राव. हुसैन ने फैसला किया कि वे उनकी पेंटिंग बनाएंगे. यही नहीं, अमृता के जन्मदिन पर हुसैन ने उन्हें तीन पेंटिंग गिफ्ट की थीं, जिनकी कीमत लगभग एक करोड़ रु. बताई जाती है.
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इन पर भी फिदा थे हुसैन
हुसैन रंग और अपने ब्रश के साथ जीने वाले वाले शख्स थे. इसलिए जब कोई हटकर हसीन चेहरा उन्हें दिखा तो उन्होंने उसे तुरंत कैमरे या अपने कैनवस पर कैद करने का फैसला लिया. इसी तरह हुसैन को तब्बू भी काफी पसंद थीं, और उन्होंने उनके लिए ‘मीनाक्षी: अ टेल ऑफ थ्री सिटीज (2004)’ बनाई थी. कामयाबी यहां भी नहीं मिली. लेकिन जिस तरह का सिनेमा उन्होंने बनाया और रंग दिए, वे हमेशा याद रखे जाएंगे.
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